जगद्गुरु परमहंसाचार्य ने ताजमहल में एंट्री से रोकने का आरोप लगाया है. टिकट खरीदने के बाद भी उन्हें ताजमहल में नहीं जाने दिया गया. आरोप है कि जगद्गुरु परमहंसाचार्य भगवा कपड़े पहने हुए थे इसलिए उन्हें ताजमहल में एंट्री से रोक दिया गया. वहीं इस पूरे मामले पर आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया का कहना है कि जगद्गुरु परमहंसाचार्य के ब्रह्मदंड को लेकर भ्रम हुआ था. उनके ब्रह्मदंड पर कपड़ा चढ़ा हुआ था जिससे एएसआई के अधिकारियों को स्पष्ट नहीं हो पा रहा था कि उसके अंदर क्या है?
ताजमहल के रखरखाव की जिम्मेदारी संभाल रहे पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग यानी एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल इस पूरे मामले की जांच की बात कह रहे हैं. उनका कहना है कि शुरुआती जानकारी ये मिली है कि संत लोहे का दंड ले जा रहे थे, जिसके कारण उन्हें प्रवेश की अनुमति शायद नहीं मिली. उनसे दंड को प्रवेश द्वार पर रखकर भीतर जाने को कहा गया लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं हुए. भगवा कपड़े को लेकर उन्हें नहीं रोका गया.
हम आपको बताते हैं कि ब्रह्मदंड क्या होता है, जिसे परमहंसाचार्य ताजमहल के अंदर लेकर जा रहे थे और किन चीजों को ताजमहल के अंदर ले जाने पर रोक है.
क्या होता है ब्रह्मदंड?
संत परमहंस कहते हैं कि धर्मदंड या ब्रह्मदंड लोहे का नहीं होता है. वह बांस और खास लकड़ी से बना होता है. यह मंत्रों द्वारा अभिमंत्रित होता है. इसे ऊपर से भगवा कपड़े से लपेटा जाता है. और इसे दिव्य और पूज्य माना जाता है.
ताजमहल के अंदर क्या है प्रतिबंधित?
ताजमहल में धार्मिक प्रतीक चिन्ह और पूजा की सामग्री भी प्रतिबंधित हैं. 2017 में ताजमहल में एक बार भगवा रंग के रामनामी दुपट्टे पहनकर पहुंची विदेशी मॉडल्स को सुरक्षा के दौरान रोक दिया गया था. इससे पहले साल 2012 में वनवासी सत्संग समिति के सदस्यों के गेरुए रामनामी उत्तरीय उतरवा दिए गए थे.