प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का शिलान्यास किया. यह प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट कहलाता है. यह कॉरिडोर काशी विश्वनाथ मंदिर, मणिकर्णिका घाट और ललिता घाट के बीच 25,000 स्क्वेयर वर्ग मीटर में बन रहा है. इसके तहत फूड स्ट्रीट, रिवर फ्रंट समेत बनारस की तंग सड़कों के चौड़ीकरण का काम भी चल रहा है.
इस प्रोजेक्ट के पूरे होने के बाद आप गंगा किनारे होकर 50 फीट सड़क से बाबा विश्वनाथ मंदिर जा सकेंगे. इसके अलावा यहां आपको बेहतर स्ट्रीट लाइट्स, साफ़-सुथरी सड़कें, पीने के पानी का इंतजाम मिलेगा.
इसके अलावा काशी के प्राचीन मंदिरों को संरक्षित किया जाएगा. अभी यहां घनी अाबादी क्षेत्र है और भवनों की खरीद और ध्वस्तीकरण का काम तेजी से चल रहा है.
पुस्तकालयों और मंदिरों को संवारा जा रहा...
कॉरिडोर की जड़ में में आने वाले मंदिरों, सड़कों समेत कई इमारतों को संवारा जा रहा है. इसके लावा दो पुराने पुस्तकालयों को भी इस प्रोजेक्ट के तहत संवारने का काम किया जा रहा है. इन्हें डिजिटल लाइब्रेरी बनाया जा रहा है. जिस पर कुल 24 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे.
योजना पर उठे कई सवाल...
सरकार काशी को क्योटो की तरह खूबसूरत बनाने की कोशिश में है, लेकिन वाराणसी की जनता के लिए सरकार का ये प्लान मुश्किल भरा है. क्योंकि यहां बेतहाशा इमारतें तोड़ी जा रही हैं. लोगों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट से काशी की ऐतिहासिक पहचान ही खतरे में पड़ गई है.
1780 और 1853 के बाद अब 2019 में काम...
काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र के विकास वर्ष 1780, 1853 के बाद 2019 में हो रहा है. इतिहास पर नजर डाली जाए तो 1780 में इस इलाके का जीर्णोद्धार महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने किया था. उनके बाद महाराजा रणजीत सिंह ने 1853 में मंदिर के शिखर सहित अन्य स्थानों पर सोना लगवाया था. अब प्रधानमंत्री 2019 में इस परिक्षेत्र को विकसित करवा रहे हैं.