उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से करीब चार साल पहले लापता हुआ एक व्यक्ति मोबाइल मैसेंजर ऐप्लीकेशन व्हाट्सऐप की मदद से अपने परिवार से मिला. बलिया के बक्शी छपरा गांव का निवासी राजेंद्र गजेरा सिंह सेना में भर्ती नहीं हो पाने से मानसिक तौर पर परेशान होकर अपने घर से चला गया था.
परिवार ने राजेंद्र के लापता होने की रिपोर्ट पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई. श्री लोकसेवा सार्वजनिक ट्रस्ट नामक संगठन के एक कार्यकर्ता ने उसे गुजरात के भुज में सड़क किनारे घूमते पाया. यह कार्यकर्ता उसे अपनी एनजीओ के दफ्तर ले गया और फिर उसे एक मानसिक अस्पताल में भर्ती कराया गया.
एनजीओ ने सिंह के निवास स्थान के बारे में पता लगाना शुरू और उत्तर प्रदेश व बिहार के कई जिलों की पुलिस के साथ संपर्क किया ताकि पता किया जा सके कि राजेंद्र के लापता होने की कोई शिकायत दर्ज कराई गई है. ट्रस्ट के सचिव हमेंद्र जनसारी ने बताया कि इसमें सफल नहीं होने पर एनजीओ ने राजेंद्र से उसके निवास स्थान और परिवार के बारे में और जानकारी लेने का प्रयास किया.
जनसारी ने कहा, 'राजेंद्र से कुछ जानकारी मिलने के बाद हमने सोशल मीडिया नेटवर्क व्हाट्सऐप का सहारा लेने का फैसला किया.' उन्होंने कहा, 'हमने राजेंद्र की फोटो और हिंदी में एक संदेश व्हाट्सऐप पर एक ग्रुप को भेजा.' बलिया में सक्रिय इस ग्रुप के साथ 5,000 से अधिक फॉलोवर जुड़े हुए थे. पिछले महीने व्हाट्सऐप पर राजेंद्र की तस्वीर देखने के बाद एक स्थानीय पत्रकार ने एनजीओ से संपर्क किया और कहा कि वह स्कूल में राजेंद्र का सहपाठी रहा है और उसका परिवार उसे ढूंढ रहा है.
जल्द ही राजेंद्र की पत्नी ने राजेंद्र से फोन पर बात की. किरण और राजेंद्र का भाई 29 जून को भुज पहुंचे और राजेंद्र से उनकी मुलाकात हुई. यह भी एक संयोग था कि उस दिन राजेंद्र की शादी की सालगिरह थी.