फेसबुक का नशा यूपी के अधिकारियों में इस कदर चढ़ गया है कि वे अपने कर्तव्य तक भूलते जा रहे हैं. दंगा पीडि़त मुजफ्फरनगर जिले के एसएसपी रहे सुभाष चंद्र दुबे के बारे में गृह विभाग को जो सूचनाएं मिली हैं उसके मुताबिक 1 से 7 सितंबर के बीच जब मुजफ्फरनगर में दंगा भडक़ रहा था उस वक्त सुभाष चंद्र दुबे की ज्यादातर सक्रियता फेसबुक पर थी.
वह लगातार अपना स्टेटस अपडेट और कमेंट पोस्ट कर रहे थे. दुबे की यही लापरवाही 15 सितंबर को उनके निलंबन का सबब बनी. इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए हैं. 27 अगस्त को मुजफ्फरनगर के कवाल गांव में हुए तिहरे हत्याकांड के बाद सुभाष चंद्र दुबे की बतौर एसएसपी मुजफ्फरनगर में तैनाती हुई थी.
28 अगस्त को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एडीजी अरुण कुमार अपने साथ दुबे को लेकर हेलीकॉप्टर से सीधे मुजफ्फरनगर पहुंचे थे. इसी दिन पत्रकारों के सामने अरुण कुमार ने दुबे की तारीफ करते हुए कहा था कि ये बहुत ही तेज तर्रार अफसर हैं और 15 दिन में ही मुजफ्फरनगर के हालात बदल देंगे. लेकिन हुआ इसका उलटा. दुबे की तैनाती के बाद से मुजफ्फनगर के हालात लगातार बिगड़ते चले गए.
सात सितंबर को नगला मंदौड़ में हुई महापंचायत के बाद भडक़ी हिंसा के अगले दिन सरकार ने सुभाष चंद्र दुबे को एसएसपी पद से हटा दिया था.