कानपुर की छत्रपति शाहूजी महाराज यूनिवर्सिटी के कुलपति (VC) विनय कुमार पाठक इन दिनों मुसीबत में फंस गए हैं. विनय के खिलाफ बिल पास करने के नाम पर कमीशन की रकम वसूलने के आरोप में एफआईआर दर्ज हुई है. लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में विनय के खिलाफ 15 पर्सेंट कमीशन लेने जैसी शिकायतों पर केस दर्ज हुआ है. ये कमीशन खोरी का मामला आगरा के अंबेडकर यूनिवर्सिटी के अतिरिक्त प्रभार के दौरान का है.
बता दें कि उत्तर प्रदेश के शिक्षा जगत में विनय पाठक चर्चित नाम हैं. वे इस समय कानपुर के छत्रपति शाहू जी महाराज युनिवर्सिटी के कुलपति हैं. विनय को एक ऐसे शख्स के तौर पर माना जाता है जिसने जो चाहा वह किया. उन्होंने असंभव को संभव बना कर काम किए. लेकिन अब विनय पाठक की कमीशन खोरी के चर्चे उत्तर प्रदेश के ब्यूरोक्रेसी से लेकर पुलिस की जांच का हिस्सा बन गए हैं. आइए आपको बताते हैं कि कौन हैं विनय पाठक?
कौन हैं विनय पाठक?
2 जून 1969 को कानपुर में जन्मे विनय कुमार पाठक ने 1991 में कानपुर के एचबीटीआई से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया, 1998 में आईआईटी खड़गपुर से एमटेक किया और 2004 में कंप्यूटर साइंस में पीएचडी की. लगभग 26 सालों से विनय कुमार पाठक ने विभिन्न शिक्षण संस्थानों में काम किया. कानपुर के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में कुलपति बनने से पहले विनय पाठक कई अन्य विश्वविद्यालय में भी कुलपति रहे हैं. सबसे पहले विनय पाठक उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय (UOU), हल्द्वानी के 25 नवंबर 2009 से 24 नवंबर 2012 तक कुलपति रहे.
उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति बनने के बाद विनय पाठक ने अपने कुलपति का दूसरा कार्यकाल भी ओपन यूनिवर्सिटी में ही जारी रखा. फिर वह 1 फरवरी 2013 को वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी, कोटा के कुलपति रहे. कोटा में विनय पाठक 3 अगस्त 2015 तक कुलपति रहे.
विनय ने सबसे चर्चित और लंबी पारी लखनऊ के अब्दुल कलाम आजाद टेक्निकल यूनिवर्सिटी (AKTU) में पूरी की. विनय पाठक पूरे 2 टर्म यानी 6 साल तक एकेटीयू के कुलपति बने रहे. विनय पाठक की तैनाती एकेटीयू में बतौर कुलपति भले ही पूर्ववर्ती अखिलेश यादव की सरकार में 4 अगस्त 2015 को हुई हो, लेकिन, विनय उसके बाद योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री के सीएम बनने पर भी एकेटीयू के वीसी बने रहे और 1 अगस्त 2021 तक एकेटीयू के कुलपति रहे.
विनय पाठक के पास दूसरी यूनिवर्सिटी का भी अतिरिक्त चार्ज रहा. 22 दिसंबर 2020 से 10 अप्रैल 2021 तक पाठक के पास ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा यूनिवर्सिटी लखनऊ के कुलपति का एडिशनल चार्ज रहा. वहीं, जनवरी 2022 से सितंबर 2022 तक विनय पाठक के पास आगरा के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी के कुलपति का अतिरिक्त चार्ज रहा.
क्या है कमीशन का मामला?
दरअसल, यह पूरा मामला आगरा के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में हुए प्रिंटिंग वर्क में कमीशन से जुड़ा है. इंदिरा नगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाने वाले डिजिटल टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मालिक डेविड एम डेनिस ने आरोप लगाया कि उनकी कंपनी 2014 से एग्रीमेंट के तहत आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम का काम करती है.
विश्वविद्यालय के एग्जाम पेपर छापना, कॉपी को एग्जाम सेंटर से यूनिवर्सिटी तक पहुंचाने का पूरा काम इसी कंपनी के द्वारा किया जाता रहा है. साल 2019 में एग्रीमेंट खत्म हुआ तो डिजिटेक्स टेक्नोलॉजी ने यूपीएलसी के जरिए आगरा विश्वविद्यालय का काम किया. साल 2020 से 21 और 21- 22 में कंपनी के द्वारा किए गए काम का करोड़ों रुपया बिल बकाया हो गया था.
जनवरी 2022 में अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का चार्ज विनय कुमार पाठक को मिला तो उन्होंने बिल पास करने के एवज में कमीशन की मांग की. एफआईआर दर्ज कराने वाले डेविड डेनिस ने फरवरी 2022 में कानपुर स्थित विनय पाठक के सरकारी आवास पर मुलाकात की और जहां पर 15 फीसदी कमीशन की डिमांड रखी गई.