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LIVE: आरुषि-‍हेमराज हत्‍याकांड में फैसला थोड़ी देर में, कोर्ट में मौजूद तलवार दंपति

गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत आरुषि-हेमराज हत्‍याकांड पर फैसला तीन बजे के बाद सुनाएगी. इस मामले में आरुषि के पिता राजेश तलवार और मां नुपुर तलवार मुख्‍य आरोपी हैं.

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फाइल फोटो: परिजनों के बीच आरुषि
फाइल फोटो: परिजनों के बीच आरुषि

गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत आरुषि-हेमराज हत्‍याकांड पर फैसला तीन बजे के बाद सुनाएगी. इस मामले में आरुषि के पिता राजेश तलवार और मां नुपुर तलवार मुख्‍य आरोपी हैं. फैसले के लिए तलवार दंपति दो बजे कोर्ट पहुंचे.

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गाजियाबाद में सीबाआई की विशेष अदालत में सुरक्षा के कड़े  इंतजाम है. जगह-जगह बैरिकेटिंग की गई है. सुरक्षा व्‍यवस्‍था तीन स्तरों पर की गई है. आरुषि मर्डर केस में फैसले के दौरान मीडिया की मौजूदगी पर भी पाबंदी है. मीडियाकर्मी कोर्ट परिसर तक भी नहीं जा पा रहे हैं. हर मीडिया संस्‍थान से एक-एक प्रतिनिधि को पास दिया गया है, जो एक-एक कर अंदर जा सकते हैं.

फैसला सुनाने के लिए जज श्याम लाल कोर्ट पहुंच चुके हैं. दोनों पक्षों के वकील और डॉ. राजेश और नुपुर तलवार भी कोर्ट पहुंच चुके हैं. जज आज सिर्फ केस पर फैसला सुनाएंगे.

आरुषि-हेमराज मर्डर मिस्ट्री केस से जुड़ी तमाम तारीखें
मामले में आरोपी डेंटिस्‍ट दम्पति राजेश और नूपुर तलवार इस समय जमानत पर चल रहे हैं. दोनों पर हत्या के साथ ही अपनी 14 वर्षीय बेटी और नौकर की मई 2008 में नोएडा के जलवायु विहार स्थित आवास पर हत्या के सबूत नष्ट करने का भी आरोप है. विशेष न्यायाधीश एस लाल 15 महीने की लंबी सुनवाई के बाद इस सनसनीखेज मामले पर फैसला देंगे.

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आरुषि-हेमराज दोहरे हत्याकांड मामले की सुनवाई गाजियाबाद की स्पेशल सीबीआई जज श्याम लाल की कोर्ट में चली. इसी कोर्ट में एनआरएचएम घोटाला और निठारी कांड समेत कई और अहम मामलों की सुनवाई चल रही है. श्याम लाल 30 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं.

हर ओर घूमी शक की सुई, सीबीआई पर भी आरोप
उत्‍तर प्रदेश पुलिस और सीबीआई की अलग अलग तर्कों के साथ ही इस मामले में कई उतार-चढ़ाव आए. शुरुआत में शक की सुई राजेश तलवार पर, जबकि उसके बाद उनके मित्रों के घरेलू सहायकों पर और फिर राजेश और उनकी पत्‍नी नूपुर तलवार पर गई. मामला शुरू से ही मीडिया में छाया रहा, जिस कारण अगस्त 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया के सनसनीखेज रिपोर्टिंग पर रोक लगा दी. वहीं, तलवार दम्पति ने सीबीआई पर आरोप लगाया था कि जांच को मोड़ने और कथित रूप से कई चीजों को लीक करके उनकी छवि को 'नुकसान' पहुंचाया गया.

शक के घेरे में पिता राजेश तलवार
शुरुआत में उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपनी जांच इस आधार पर की कि हेमराज ने आरुषि की हत्या की और फिर घटनास्थल से फरार हो गया. अगले दिन हेमराज का शव फ्लैट की छत पर मिलने के बाद शक की सुई आरुषि के पिता राजेश तलवार पर आ गई, जिसे उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. पुलिस के इस गिरफ्तारी और उस सनसनीखेज आरोप ने मीडिया का ध्यान खींचा कि हत्यारा और कोई नहीं किशोरी का पिता है, जिसने आरुषि और हेमराज को आपत्तिजनक स्थिति में देखने के बाद गुस्‍से में कदम उठाया. इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी. सीबीआई के संयुक्त निदेशक अरुण कुमार के नेतृत्व में सीबीआई के एक दल ने यह निष्कर्ष निकाला कि हत्याएं तलवार की क्लीनिक में सहायक कृष्णा थडराई, उसके मित्र राजकुमार और तलवार के पड़ोसी के ड्राइवर विजय मंडल द्वारा किया गया. राजकुमार तलवार के मित्र प्रफुल और अनीता का घरेलू सहायक था.

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सीबीआई के तत्कालीन निदेशक अश्विनी कुमार ने इस निष्‍कर्ष को खारिज कर दिया और अरुण कुमार की दलीलों में खामियां बताईं. सितम्बर 2009 में कुमार ने संयुक्त निदेशक जावेद अहमद और तत्कालीन पुलिस अधीक्षक नीलाम किशोर के नेतृत्व में एक नयी टीम का गठन किया और उन्हें अपनी टीम के सदस्यों का चुनाव करने की आजादी दी. इस जांच दल ने करीब एक साल की गहन जांच के बाद सहायकों को शक से मुक्त कर दिया और परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर राजेश तलवार की भूमिका का संकेत दिया.

अदालत ने दिया आदेश, तलवार दम्‍पति पर चले मामला
जांच दल ने 29 दिसम्बर 2010 को मामले में 'अपर्याप्त सबूत' का हवाला देते हुए मामले को बंद करने की रिपोर्ट दायर की. इसे जिला मजिस्ट्रेट प्रीति सिंह ने खारिज कर दिया. उन्होंने आदेश दिया कि इसमें तलवार दम्पति के खिलाफ मामला चलाया जाना चाहिए. अदालत ने कहा, 'ऐसे मामले में जिसमें घटना घर के भीतर हुई, दिखाई देने वाले सबूतों को नजरंदाज नहीं किया जा सकता.' तलवार दम्पति उसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट गए, जिसने निचली अदालत के समन और उनके खिलाफ शुरू की गई सुनवाई को रद्द करने की मांग वाली उनकी याचिका खारिज कर दी. दम्पति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उन्हें वहां भी राहत नहीं मिली.

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सुनवाई का सिलसिला
हत्या मामले में सुनवाई 11 जून 2012 को शुरू हुई. सुनवाई डेढ़ साल तक चली और इस दौरान सीबीआई के कानूनी सलाहकार आरके सैनी ने अपने समर्थन में 39 गवाह पेश किए. वहीं, बचाव पक्ष ने भी सात गवाह पेश किए.

25 जनवरी 2011 को गाजियाबाद अदालत परिसर में एक युवक ने राजेश तलवार पर धारदार हथियार से हमला भी किया.

मामले में अभियोजन ने अपनी अंतिम दलीलें 10 अक्‍टूबर को शुरू कीं, जबकि बचाव पक्ष ने अपनी अंतिम दलीलें 24 अक्‍टूबर को शुरू करके उसे 12 नवम्बर को पूरा कर लिया.

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