सावन का महीना, बाबा विश्वनाथ की नगरी और दिन मंगलवार. प्रधानमंत्री मोदी को उनके ही लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में घेरने और यूपी चुनाव का श्रीगणेश करने का इससे अच्छा वक्त और स्थान कोई नहीं हो सकता था. यही वजह है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने न सिर्फ वाराणसी को चुना, बल्कि वाराणसी से कांग्रेस के उसी पुराने वोट बैंक की तलाश भी शुरू कर दी है जिसके बूते कांग्रेस 27 साल पहले तक राज करती रही थी.
सोनिया गांधी के कार्यक्रम को कुछ इस तरह से सजाया गया कि वो सिर्फ कांग्रेस की पुरानी पहचान के साथ जुड़े और मोदी की दुखती नब्ज भी टटोले. गंगा, पंडित मालवीय और बीएचयू को सोनिया गांधी के कार्यक्रम में नहीं रखा गया है जबकि दलित ब्राह्मणों और मुसलमानों को साधने की पूरी कोशिश की गई है.
मुस्लिमों, दलितों और ब्राह्मणों को साधने की कोशिश
देश में दलित आक्रोश को देखते हुए सोनिया गांधी के कार्यक्रम में सबसे ज्यादा तरजीह उसे ही दी गई है. सोनिया गांधी का पहला कार्यक्रम आंबेडकर की मूर्ति के माल्यार्पण के साथ शुरू होगा और वे कबीरपंथियों से
मिलेंगी. सोनिया के रोड शो का बड़ा हिस्सा मुस्लिम इलाकों से गुजरेगा, जिसमें अलाईपुर पीलीकोठी गोलगड्डा और आदमपुर जैसे इलाके हैं, जो मुस्लिम बहुल हैं. जबकि ब्राह्मणों के लिए उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े ब्राह्मण
नेता माने जाने वाले कमलापति त्रिपाठी के माल्यार्पण के बाद सोनिया के भाषण से खत्म होगा.
प्रशांत किशोर ने बनाई प्रचार की स्क्रिप्ट
पहले कांग्रेस की दिल्ली से कानपुर की बस यात्रा, फिर लखनऊ में राहुल का कार्यकर्ताओं के साथ रैंप संवाद और और अब सोनिया गांधी का बनारस में रोड शो, ये सब पीके (प्रशांत किशोर) की उसी स्क्रिप्ट का हिस्सा है
जिसमे एक साथ पूरे यूपी में कांग्रेस की मौजूदगी का एहसास कराने की योजना है.
कांग्रेस नेता रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि मोदी को उनके गढ़ में चुनौती देने का अलावे ये भी एहसास कराना है कि प्रंचड बहुमत के बाद भी पीएम मोदी ने यूपी और बनारस को कितना ठगा है.