परिवार में मचे घमासान के कुछ शांत होने के बाद मुलायम सिंह यादव पहली बार उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में बड़ी चुनावी रैली करने जा रहे हैं. लंबे समय से इसकी तैयारी की जा रही है ताकि जबरदस्त भीड़ जुटाकर इसे सफल बनाया जाए. इस रैली को सफल बनाने के लिए काफी समय में से जुटे समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव लगातार यह दावा कर रहे हैं कि मुलायम सिंह की रैली कुछ समय पहले गाजीपुर में हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से बहुत बड़ी होगी.
लेकिन सबसे बड़ा सवाल लोगों के मन में यह है कि इस रैली में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव शामिल होंगे या नहीं? मौका बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी रैली से मुलायम सिंह यादव चुनावी अभियान की शुरुआत करेंगे. लेकिन अखिलेश यादव के आने को लेकर असमंजस बना हुआ है क्योंकि गाजीपुर की रैली में कौमी एकता दल की बड़ी भूमिका होगी. अखिलेश यादव कौमी एकता दल और मुख्तार अंसारी के साथ हाथ मिलाने के बिल्कुल खिलाफ रहे.
दरअसल अपने चाचा शिवपाल यादव से अखिलेश की तनातनी कौमी एकता दल से गठबंधन को लेकर ही हुई शुरू हुई थी. लेकिन अखिलेश यादव की लाख विरोध करने के बावजूद मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव ने मिलकर कौमी एकता दल का विलय समाजवादी पार्टी में करा ही लिया. अब कौमी एकता दल समाजवादी पार्टी का हिस्सा है और रैली भी उसी पूर्वांचल के इलाके में हो रही है जहां कौमी एकता दल का प्रभाव है, तो यह तय है कि कौमी एकता दल के नेता मंच पर मौजूद होंगे.
गाजीपुर के मोहम्दाबाद सीट पर मुख्तार अंसारी के भाई सिबगतुल्लाह अंसारी विधायक हैं. वहीं गाजीपुर जिले के सैदपुर, जंगीपुर, जमानिया और गाजीपुर विधान सभा सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है. ऐसे में मुलायम की रैली में भीड़ जुटाकर कौमी एकता दल के नेता अपनी ताकत का एहसास जरूर करना चाहेंगे. लेकिन क्या कौमी एकता दल के नेताओं के साथ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मंच साझा करना चाहेंगे? सूत्रों के मुताबिक ज्यादा उम्मीद इस बात की है कि अखिलेश यादव इस रैली में नहीं जाएंगे. रैली के एक दिन पहले ही अखिलेश यादव ने लखनऊ में ही अपने घर पर बैठकर गाजीपुर के सैदपुर में बने गंगा पुल का लोकार्पण कर दिया.
सोमवार को एक्सप्रेस पर के उद्घाटन पर रामगोपाल यादव सहित मुलायम सिंह के परिवार के सभी सदस्यों ने साथ जुटकर एकजुटता दिखाने की कोशिश की थी. लेकिन अगर गाजीपुर की रैली में अखिलेश यादव नहीं जाते हैं तो यह सवाल उठना लाजिमी है कि परिवार के भीतर अभी सब कुछ ठीक ठाक नहीं हुआ है.