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मायावती-मोदी से बड़ी लकीर खीचेंगे अखिलेश, लखनऊ में होगा वर्ल्ड क्लास गोमती रिवरफ्रंट

अखिलेश यादव का लंदन के टेम्स की तर्ज पर पिछले साल पहले शुरू हुए गोमती के रिवरफ्रंट का पहला चरण न सिर्फ इस साल पूरा हो जाएगा, बल्कि चुनावों के पहले उसे जनता को सौंप भी दिया जाएगा.

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लंदन के टेम्स की तर्ज पर बन रहा गोमती रिवरफ्रंट
लंदन के टेम्स की तर्ज पर बन रहा गोमती रिवरफ्रंट

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हाल के सालों में जब भी लखनऊ के सौंदर्य की बात होती थी, तो मायावती के पार्कों और अंबडेकर पार्क की भव्यता से लखनऊ शहर को जोड़ा जाता रहा. लेकिन अब लंदन के टेम्स की तर्ज पर गोमती नदी का रिवरफ्रंट बनाकर अखिलेश सरकार यहां भी मायावती से बड़ी लकीर खींचना चाहती है. सीएम का ये ड्रीम प्रोजेक्ट तेजी से बनकर तैयार हो रहा है. यही नहीं अखिलेश सरकार का ये गोमती रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट अहमदाबाद के साबरमती रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट को भी टक्कर देगा, जिसके लिए प्रधानमंत्री मोदी देशभर में तारीफ और सुर्खियां बटोर चुके हैं.

चुनाव से पहले जनता को सौंपा जाएगा
अखिलेश यादव का लंदन के टेम्स की तर्ज पर पिछले साल पहले शुरू हुए गोमती के रिवरफ्रंट का पहला चरण न सिर्फ इस साल पूरा हो जाएगा, बल्कि चुनावों के पहले उसे जनता को सौंप भी दिया जाएगा. भले ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लंदन की तर्ज पर गोमती का रिवरफ्रंट चाहते हो, लेकिन बनाने से पहले उनके मंत्री जापान के टोक्यो और ओसाका के रिवरफ्रंट को देख आए हैं.

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कई लकीर खींचने की कोशिश
दरअसल अखिलेश यादव चाहते हैं कि लखनऊ के वासियों के लिए यह सौगात चुनाव के पहले तैयार हो जाए, जिसे जनता के बीच भी भुनाया जा सके. जानकारों के मुताबिक अखिलेश अपनी इस महत्वकांक्षी योजना से एक साथ कई निशाने साध रहे हैं. एक तरफ वो मायावती के सौंदर्यकरण के प्रतीकों से बड़ी लकीर खींच रहे हैं, तो भव्यता में मोदी की बराबरी चाहते हैं.

हर तरह की फीचर से लैस
सरकार ने जून तक ही पहले चरण में गोमती नगर बैराज से ला-मारटैनियर कॉलेज तक का करीब 2 किमी का रिवरफ्रंट तैयार करने का एलान किया था, लेकिन वो टल गया और सरकारी दावे के मुताबिक ये काम अपने आखिरी चरण में है और दिसंबर 2016 तक पूरा कर लिया जाएगा. गोमती का ये रिवरफ्रंट 8.1 किलोमीटर का है, जिसपर करीब 3 हजार करोड़ का खर्च आएगा. अब तक सरकार करीब डेढ़ हजार करोड़ का खर्च कर भी चुकी है. इस प्रोजेक्ट के एक्जेक्युटिव इंजीनियर रूप सिंह यादव के मुताबिक इस रिवरफ्रंट में कुछ ऐसे फीचर है जो दुनिया मे कही नहीं है. यहां रिवर फ्रंट पर सॉफ्ट स्केपिंग है, झील है, म्युजिकल फाउंटेन है, जो कहीं नहीं है. साथ ही वाटर स्पोर्टस है, क्रुज है और स्वास्थ्य के लिहाज से कई तरह के ट्रैक बनाए गए हैं, जिसमें साइक्लिंग, वॉकिंग और जॉगिंग ट्रैक होगा.

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दिसंबर 2016 तक पूरा करने का वादा
इस प्रोजेक्ट की शुरूआत जनवरी 2015 में हुई थी और मार्च 2017 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन सरकार के इंजीनियर दावा कर रहे हैं कि इसे वो दिसंबर 2016 में ही पूरा कर लेंगे. दरअसल इसकी शुरूआत गोमती के दोनो ओर कंक्रीट के चैनल बनाकर शुरू की गई और आठ किमी लंबा चैनल बनाया गया, फिर दोनो ओर से जो पूरे लखनऊ के 37 नाले इसमे गिरते हैं, उसे रोकने की कवायद इसके समानांतर एक नाले इंटरसेप्टिंग ड्रेन बनाकर की गई है और धीरे-धीरे गोमती में गिरने वाले नालों को रोक दिया जाएगा.

300 गाड़ियों का पार्किंग
इस रिवरफ्रंट को वर्ल्ड क्लास बनाने की तैयारी है, जिसमें सैलानियों के लिए खेलकूद, सैर, साइक्लिंग, योग, नौकायन सहित कई तरह की सुविधाएं होगीं. पहले चरण में जो रिवरफ्रंट जनता के लिए खोला जाएगा उसका लगभग 80 प्रतिशत पूरा किया जा चुका है. दावे हैं कि करीब 300 गाड़ियों के पार्किंग के लिए दो बड़े पार्किग जोन बन रहे हैं. सुरक्षा के लिहाज से करीब 250 सीसीटीवी लगाए जाएंगे.

ये भी सुविधाएं

-कई बड़े लैडस्केप बनाए जा रहे हैं.

-कई जगहों पर रंगीन फव्वारे होंगे जो शाम के बाद इसकी सुंदरता बढाएंगे.

-गोमती में नौकायन इसका सबसे बड़ा आकर्षण होगा जिसके लिए कई घाट तैयार किए जा रहे हैं.

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-पार्क मे हरियाली के खाल इंतजाम किए जा रहे हैं. वेटलैंड बनाए जा रहे हैं, जिसमे कई तरह के पेड़ लगाए जाएंगे, जिसमें पक्षियों को बसाने की खास योजना है.

-छोटे बच्चों के खेलने के लिए छोटे खेल के मैदान, पार्क होंगे.

-फूड प्लाजा की एक सीरीज होगी, जिसमें लोग खाने-पीने का लुत्फ उठा सकेंगे.

-गोमती फ्लावर शो होगा, जिसमें विभिन्न प्रजातियों के फूल लगाए जाएंगे.

गोमती रिवरफ्रंट परियोजना सुप्रिटेंडिग इंजीनियर रमण सरकार के मुताबिक जिस तरह से मायावती के बड़े पार्क सामाजिक परिवर्तन के प्रतीक के तौर बताए गए है, कुछ उसी तरह से अखिलेष के इस प्रोजेक्ट को समाजवादी चासनी में ढाला जा रहा है. इस रिवरफ्रंट पर आना और घूमना निशुल्क होगा. यहां फ्री वाई-फाई होगा, यहां ओपन एफी-थियेटर जिसमें गाने बजाने वालों को मुफ्त में प्लेटफॉर्म मिलेगा.

हालांकि पर्यावरणविद गोमती नदी को कुछ इस तरह से घेरने पर सवाल उठा रहे हैं. पर्यावरणविदों के मुताबिक इससें गोमदी की इकोलॉजी प्रभावित होगी और टेम्स की नकल करने से ये नहीं खत्म हो जाएगी. लेकिन आम लोगो का मानना है कि ये प्रोजेक्ट सचमुच किसी ड्रीम प्रोजेक्ट से कम नहीं है और गोमती किस तरह से नालों में तब्दील दी ये लखनऊ में किसी से छिपी नहीं हैं.

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