उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा फैजाबाद जिला अदालत में विस्फोट के आरोपी खालिद मुजाहिद के परिवार को छह लाख रुपये मुआवजा दिए जाने को चुनौती देते हुए सोमवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में एक रिट याचिका दायर की गई.
सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर द्वारा दायर की कई याचिका में कहा गया है कि चूंकि खालिद आज भी सरकारी अभिलेखों में आतंकी है जो एक गंभीर आतंकी घटना का अभियुक्त बताया गया. अत: उसे मौत के बाद मुआवजा नहीं दिया जाना चाहिए था. आतंकी के परिवार को मुआवजा दिया जाना संविधान में लिखित प्रस्तावना और मौलिक कर्तव्यों के विपरीत है.
ठाकुर ने इस मामले में तत्काल एक अवकाश प्राप्त उच्च न्यायालय के जज से जांच कराये जाने की मांग की है कि खालिद को सही पकड़ा गया था अथवा वह निर्दोष था. यदि वह निर्दोष फंसाया गया तो उसे मुआवजा के साथ ऐसा करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी विधिक कार्यवाही हो, लेकिन यदि जांच में पाया जाता है कि खालिद निर्दोष नहीं फंसाया गया था और वास्तव में इस घंटना में संलिप्त था तो उसके परिवार से मुआवजा वापस वसूला जाए.
बीते सप्ताह फैजाबाद जिला अदालत में पेशी के बाद पुलिस अभिरक्षा में लखनऊ जेल ले जाए रहे खालिद की बाराबंकी में तबियत बिगड़ गई, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसकी मौत हो गई.
अखिलेश सरकार ने रविवार को खालिद के परिजनों को छह लाख रुपये मुआवजा देने का ऐलान किया.