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योगी सरकार के 1 साल के जलसे से पहले उखड़ गया शामियाना

2014 के लोकसभा चुनाव और यूपी के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने सपा और बसपा को करारी मात दी थी. लोकसभा में बीजेपी को 80 में से 71 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि विधानसभा की 403 सीटों में से बीजेपी को 312 सीटें मिलीं. सपा को 47 जबकि बसपा के हिस्से महज 19 सीटें आईं. 

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

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उत्तर प्रदेश में योगी सरकार का एक साल पूरा होने के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाले जलसे का शामियाना उपचुनाव परिणामों की आंधी में उखड़ गया है. एक साल पहले प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई योगी सरकार के 19 मार्च को एक साल पूरे हो रहे हैं, लेकिन इससे ठीक चार दिन पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को यूपी की जनता ने बड़ा झटका दिया है. दो सीटों के उपचुनाव में बीजेपी मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों की सीट गंवा बैठी. हाल के समय में मिली तमाम चुनावी सफलताओं पर इन दो सीटों की हार भारी दिख रही है.  

गोरखपुर और फूलपुर की सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है. दोनों सीटों पर सपा के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. हालांकि इस चुनाव में समाजवादी पार्टी को बहुजन समाज पार्टी का समर्थन मिला था.  

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बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव और यूपी के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने सपा और बसपा को करारी मात दी थी. लोकसभा में बीजेपी को 80 में से 71 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि विधानसभा की 403 सीटों में से बीजेपी को 312 सीटें मिलीं. सपा को 47 जबकि बसपा के हिस्से में महज 19 सीटें आईं.  

जीत के बाद मुख्यमंत्री बने योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था से लेकर गौ रक्षा के मुद्दे पर जमकर अभियान चलाया. साथ ही अपराधियों पर नकेल कसने के लिए योगी ने पुलिस को खुली छूट दी और प्रदेश में हर रोज एनकाउंटर होने लगे. योगी सरकार ने महिलाओं के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए एंटी रोमियो अभियान चलाया. लगभग हर मौके पर हर मंच पर योगी सरकार ने इसका श्रेय लिया और प्रदेश में बेहतर कानून व्यवस्था होने की बात कही.

हालांकि योगी सरकार के इन फैसलों की खूब आलोचना हुई और लेकिन विपक्ष की आवाज नक्कारखाने में तूती की तरह रही.  

योगी सरकार ने प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अयोध्या में दीवाली का आयोजन किया, तो मथुरा में होली खेली. यूपी विधानसभा में योगी ने खड़े होकर कहा कि मैं हिंदू हूं और ईद नहीं मनाता. मुझे इस पर गर्व है. भारी बहुमत से सत्ता में पहुंचे योगी अपने धर्म की चाशनी में लिपटी राजनीति को यूपी में फैलाते रहे.  

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सरकार का दावा था यूपी में बीजेपी सरकार आने के बाद प्रदेश में सड़कें बनी हैं और बिजली की सप्लाई भरपूर हो रही है. योगी सरकार ने फरवरी 2018 में यूपी इंवेस्टमेंट समिट का आयोजन किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय मंत्रियों का पूरा जत्था लखनऊ पहुंचा.

प्रदेश सरकार ने दावा किया कि चार लाख करोड़ से ज्यादा के एमओयू साइन हुए हैं. प्रदेश में सुधरी कानून व्यवस्था का असर दिख रहा है, निवेशक यूपी में निवेश को तैयार हैं. हालांकि यहां भी योगी सरकार पर आंकड़ों में हेराफेरी करने और चीजों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के आरोप लगे, लेकिन योगी अपने ही अंदाज में चल रहे थे.

उपचुनाव नतीजों से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि सरकार के एक साल पूरे होने पर वे जनता के सामने अपना रिपोर्ट कार्ड रखेंगे, लेकिन गोरखपुर और फूलपुर में मिली हार ने योगी आदित्यनाथ का रिपोर्ट कार्ड खराब कर दिया है. योगी अपनी ही सीट नहीं बचा पाए हैं, तो पार्टी को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या की सीट पर भी हार का सामना करना पड़ा है.  

चुनाव परिणाम के बाद योगी आदित्यनाथ ने यह स्वीकार किया कि पार्टी का अति आत्मविश्वास उपचुनाव में भारी पड़ा. योगी की इस स्वीकारोक्ति के बाद सबकुछ स्पष्ट हो जाता है. यूपी में पिछले एक साल में न तो अच्छे दिन आए हैं. और न ही रामराज्य बसा है. जैसा कि मुख्यमंत्री दावा करते रहे हैं और इसका सबसे बड़ा सबूत लोकसभा उपचुनाव के नतीजे हैं.  

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बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व लोकतंत्र में चुनाव जीतने के महत्व को समझता है. योगी अपनी सीट गंवा बैठे हैं, जोकि उनकी राजनीति का केंद्र भी है. उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या की सीट भी सपा ने कब्जा ली है. देखना होगा कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह इस हार को कैसे लेते हैं. बहरहाल चुनाव नतीजों ने पांच दिन बाद एक साल पूरे कर रही योगी सरकार के जलसे पर पानी फेर दिया है.

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