उत्तर प्रदेश में योगी मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों के विभागों का बंटवारा कर दिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाने वाले पूर्व आईएएस अरविंद शर्मा (AK Sharma) को योगी सरकार 2.0 में सबसे अहम विभाग दिए गए हैं. उन्हें नगर विकास और ऊर्जा सहित पांच मंत्रालय का प्रभार दिया गया है. ऐसे में अब एके शर्मा को पांच साल नहीं बल्कि पांच महीने के बाद ही सूबे में होने वाले निकाय चुनाव में असल परीक्षा से गुजरना होगा.
नौकरशाह की नौकरी छोड़कर सियासत में आए कैबिनेट मंत्री एके शर्मा को ऊर्जा और नगर विकास मंत्रालय के अलावा खादी ग्रामोद्योग, नगरीय रोजगार व गरीबी उन्मूलन व अतिरिक्त ऊर्जास्रोत का प्रभार दिया गया है. हाल के दिनों में ये दोनों विभाग नगर विकास और ऊर्जा किसी एक मंत्री के पास नहीं रहे हैं. यूपी की सियासत में कभी लालजी टंडन जैसे भाजपा के कद्दावर नेता के पास ही ऊर्जा और नगर विकास विभाग हुआ करते थे. इस तरह से एके शर्मा के सियासी कद का अंदाजा लगाया जा सकता है.
एके शर्मा को नगर विकास और ऊर्जा जैसे दो बड़े विभाग सिर्फ इसलिए नहीं मिले कि वह पीएमओ में रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद अधिकारियों में शामिल रहे हैं. इसका बड़ा कारण यह है कि उनके पास प्रशासनिक अनुभव अच्छा है. नौकरशाह के रूप में उन्होंने सरकारी योजनाओं को अमलीजामा पहनाकर खुद को साबित किया है, लेकिन अब मंत्री के तौर पर खुद को साबित करने की चुनौती है. ऐसे में जिस तरह से विभाग योगी कैबिनेट में शर्मा को दिए गए हैं, उनमें पहले की सरकारों में सवाल खड़े होते रहे हैं.
यूपी में महंगी बिजली और गर्मी में कटौती एक बड़ा मुद्दा
कैबिनेट मंत्री एके शर्मा को जो मंत्रालय मिले हैं, वो चाहे ऊर्जा विभाग या फिर नगर विकास. ये दोनों ही विभाग सीधे जनता से जुड़े हुए हैं. उत्तर प्रदेश में महंगी बिजली और गर्मी में कटौती एक बड़ा मुद्दा है. 2022 चुनाव के दौरान मुफ्त और सस्ती बिजली देने का वादा कर राजनीतिक पार्टियां ने करके पहले ही योगी सरकार पर दबाव बना रखा है. वहीं, बीजेपी सूबे के किसानों को मुफ्त बिजली का ऐलान कर रखा है तो घरेलू बिजली को सस्ती दरों पर देने का दबाव है. पिछले कार्यकाल में ऊर्जा मंत्री रहे श्रीकांत शर्मा की इस बार मंत्रिमंडल से छुट्टी कर दी गई है और उनकी जगह एके शर्मा को जिम्मा सौंपा गया है.
यूपी में 2017 से लेकर 2022 के बीच बीजेपी सरकार के दौरान औसतन 24 फीसद बिजली दरों में वृद्धि हुई है. साल 2017 में भाजपा सरकार बनने के बाद 30 नवंबर को बिजली की दरों में औसतन 12.73 फीसद का इजाफा किया गया. वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव होने के बाद तीन सितंबर को दरों में औसतन 11.69 फीसद का इजाफा किया गया. पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 में बिजली की दरें यथावत रहीं. बिजली मंहगाई के मामले यूपी देश में महाराष्ट्र के बाद दूसरे नंबर पर है.
प्रदेश की सियासत में बिजली अब एक अहम मुद्दा बन चुकी है. 2017 में प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी तो बिजली का वीआईपी दर्जा समाप्त कर दिया गया और पूरे प्रदेश में समान रूप से बिजली देने के साथ-साथ प्रमुख धार्मिक शहरों व स्थलों में 24 घंटे आपूर्ति का एलान कर दिया. फायदा यह हुआ कि इसमें गोरखपुर और मथुरा भी आ गए जो मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री के क्षेत्र रहे हैं. इस तरह से अलग से वीआईपी दर्जा दिए बगैर ही दोनों जगह 24 घंटे बिजली मिलने लगी, लेकिन सूबे के बाकी शहरों में 24 घंटे बिजली का सपना साकार नहीं हो सका.
24 घंटे बिजली मिलने का संकल्प अधूरा!
उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार के आने के बाद बिजली की उपलब्धता में इजाफा हुआ. यह इसीलिए हो सका, क्योंकि पिछली सरकारों में नई परियोजनाएं लगाने की शुरू हुई पहल परवान चढ़ती गई, जिससे उपलब्धता बढ़ी और शहरों से लेकर गांवों तक बिजली मिली. लेकिन गर्मी का मौसम शुरू होते ही बिजली कटौती शुरू हो जाती है, जिससे शहर से लेकर गांव तक को सामना करना पड़ता है. हर साल बिजली दर बढ़ने से सस्ती बिजली देने और 24 घंटे बिजली मिलने का संकल्प साकार नहीं हो सका.
उत्तर प्रदेश के तमाम शहरों में विभागीय कुप्रबंधन की वजह से नगर विकास संबंधी तमाम तरह की समस्याएं हैं. शहरों में साफ सफाई से लेकर सड़कों की खस्ता हालत एक बड़ी समस्या बनी हुई है तो अभी भी तमाम शहरों में सीवर लाइन नहीं बिछी हैं. इसके अलावा शहरों में अभी भी शुद्ध पीने का पानी लोगों को नहीं मिल पा रहा है. वहीं, यूपी में इसी साल निकाय चुनाव होने है, जिसके चलते एके शर्मा के सामने खुद को साबित करने के लिए बहुत ज्यादा समय नहीं है.
बता दें कि बीजेपी ने पिछली बार निकाय चुनाव में विपक्षी दलों का पूरी तरह से सफाया कर दिया था. यूपी के कुल 17 नगर निगम में से 15 में बीजेपी को जीत मिली थी तो दो अलीगढ़ और मेरठ में बसपा का मेयर चुना गया था. ऐसे ही नगर पंचायत और नगर पालिका में भी बीजेपी ने जीत का परचम लहराया था. इस तरह से अब नगर विकास मंत्री बने एके शर्मा के सामने पांच महीने में शहरों को विकास की रफ्तार देकर पिछली बार से बेहतर प्रदर्शन दोहराना होगा, जिसके लिए उन्हें पहले सूबे के शहरों को सुंदर बनाने का नहीं बल्कि बिजली आपूर्ती और सस्ती दर पर बिजली देने की दिशा में भी कदम उठाने होंगे.