समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर कुर्सी बचाने के लिए राज्य में हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है. अखिलेश के मुताबिक उत्तर प्रदेश विधानसभा में सरकार के खिलाफ 200 विधायकों के धरने पर बैठने के बाद ऐसा किया गया.
लखनऊ में अखिलेश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “लखनऊ और राज्य के अन्य हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के उकसाने पर हुए. ये जानबूझ कर राज्य विधानसभा में सत्तारूढ़ पार्टी के 200 विधायकों के धरने पर बैठने की घटना से ध्यान हटाने के लिए किया गया. विधायक मुख्यमंत्री से खुश नहीं हैं."
अखिलेश ने आगे कहा, "मुख्यमंत्री ने ‘बदला’ शब्द का इस्तेमाल पुलिस को भड़काने के लिए किया और पुलिसकर्मियों ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ विरोध जताने वाले लोगों पर फायरिंग की. साथ ही ये पहली बार है कि किसी मुख्यमंत्री ने विधानसभा में भी ‘ठोक दो’ शब्द का कई बार इस्तेमाल किया."
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा, "राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) बीजेपी की तुष्टिकरण की राजनीति करने की एक और कोशिश है. इसे लोगों का ध्यान बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई और किसानों की बदहाली के मुद्दों से हटाने के लिए लागू किया जा रहा है. अर्थव्यवस्था चौपट है लेकिन सरकार ऐसे अहम संकट पर ध्यान नहीं दे रही है."
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष ने लखनऊ में पार्टी दफ्तर से साइकिल विरोध प्रदर्शन की भी शुरुआत की. इसमें पार्टी के सभी विधायक साइकिल से विधानसभा पहुंचे और CAA-NPR के खिलाफ नारे लगाए.
अखिलेश के बयान पर बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने पलटवार में कहा, "समाजवादी पार्टी के शासन में यूपी में राज्य भर में दंगे हुए और अखिलेश के करीबी नेता उनके लिए जिम्मेदार थे. पूर्व मुख्यमंत्री सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं और यही वजह है कि उनके अपने परिवार में विवाद है जो हर दिन बढ़ता जा रहा है. उनके जैसे नेता CAA पर लोगों को गुमराह करने के साथ भड़का रहे हैं. बीजेपी लोकतांत्रिक पार्टी है और हमारे विधायकों ने विधानसभा में अपनी चिंताएं जताई थीं. उनकी ओर से कोई धरना नहीं दिया गया था."