कोरोना महामारी के दौरान उत्तर प्रदेश की हालत खराब है. यही वजह है कि कोरोनावायरस रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद से ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार कई जिलों का दौरा कर रहे हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कोशिश है कि पूरे राज्य में लोगों को अस्पतालों में बेहतरीन सुविधाएं मुहैया कराई जाए. इसके लिए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है.
मौजूदा ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता को नाकाफी समझते हुए प्रदेश सरकार ने अब उद्यमियों को ऑक्सीजन उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने की ओर कदम बढ़ाया है. इसके लिए अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग ने उत्तर प्रदेश ऑक्सीजन उत्पादन प्रोत्साहन योजना-2021 बनाई है. इस नीति को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है.
नीति के तहत सौ करोड़ रुपये तक के पूंजी निवेश होगें. उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन के उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि करने के लिए और कोविड 19 के कारण उत्पन्न स्वास्थ्य संकट के निदान के लिए ऑक्सीजन की जरूरत को पूरा किया जाना है. नीति का उद्देश्य रोजगार के अवसर पैदा करते हुए उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन उत्पादन में निवेश को प्रोत्साहित करना भी है.
प्रदेश सरकार ने अब उद्यमियों को ऑक्सीजन उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने की ओर ये कदम बढ़ाया है. इसके लिए अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग ने उत्तर प्रदेश ऑक्सीजन उत्पादन प्रोत्साहन नीति-2021 बनाई है, जिसे कैबिनेट बाई सर्कुलेशन स्वीकृति दी गई है.
अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने बताया कि लिक्विड ऑक्सीजन, जियोलाइट, ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, सहायक उपकरण, क्रायोजैनिक टैंकर, आइएसओ टैंकर, ऑक्सीजन भंडारण, परिवहन उपकरण का निर्माण करने वाली औद्योगिक इकाइयों को इस नीति के तहत प्रोत्साहन मिलेगा.
और पढ़ें- गोवा को हर संभव मदद का गृहमंत्री ने दिया आश्वासन, अगले 24 घंटे में और तीव्र होगा तौकते
इस नीति में शर्त है कि इकाई ने पचास करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया हो. नीति अधिसूचित होने के तीस माह तक इसकी अवधि होगी. विस्तारीकण या विविधीकरण का मतलब मौजूदा औद्योगिक उपक्रम द्वारा नए पूंजी निवेश से अपने सकल ब्लॉक में 25 फीसद वृद्धि से होगा. भूमि, भवन, संयंत्र, मशीनरी, सुविधाएं, टूल्स और उपकरण पूंजी निवेश के घटक होंगे.
अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने बताया कि ऑक्सीजन उत्पादन प्रोत्साहन नीति-2021 में प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में विशेष व्यवस्था की गई है. बुंदेलखंड और पूर्वांचल की इकाइयों को 25 फीसद, जबकि मध्यांचल में 20 फीसद और पश्चिमांचल में 15 फीसद सब्सिडी मिलेगी. इसी तरह स्टांप ड्यूटी में बुंदेलखंड और पूर्वांचल में 100 फीसदी, मध्यांचल में 75 फीसद और पश्चिमांचल में 50 फीसद की छूट मिलेगी. उत्तर प्रदेश सरकार की इस नीति के क्रियान्वयन के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है. जो नोडल संस्था इनवेस्ट यूपी को प्राप्त आवेदन का मूल्यांकन कर संस्तुति देगी.
नोडल संस्था द्वारा नीति के कार्यान्वयन का प्रबंधन किया जाएगा. नीति का कार्यान्वयन प्रोत्साहन प्राप्त करने के लिए समस्त आवेदन नोडल संस्था के समक्ष प्रस्तुत किए जाएंगे. इस नीति के अंतर्गत परिभाषित प्रभावी तिथि से केवल 6 माह की अवधि के लिए आवेदन स्वीकार किए जाएंगे.
ये है प्रक्रिया
100 करोड़ रुपये तक के पूंजी निवेश के प्रस्ताव माननीय मंत्री, औद्योगिक विकास विभाग के समक्ष तथा 100 करोड़ रुपये से अधिक के पूंजी निवेश के प्रस्ताव, मंत्रिपरिषद् के समक्ष प्रस्तुत किए जाएंगे. समिति के अध्यक्ष अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त होंगे. आवेदन पत्रों को प्रस्तुत करने एवं लाभ दिए जाने के संबंध में प्रक्रिया आदि का निर्धारण औद्योगिक विकास विभाग द्वारा किया जाएगा.
नीति के अंतर्गत केंद्र सरकार की नीतियों एवं योजनाओं के साथ क्रमवेशन की अनुमति होगी. हलांकि सभी योजनाओं से कुल प्रोत्साहन लाभ, पात्र पूंजी निवेश के 100 प्रतिशत से अधिक नहीं होंगे. निवेशकों को केंद्र सरकार की नीतियों के अंतर्गत प्राप्त किए जाने वाले प्रोत्साहन के प्रकार एवं परिमाण की घोषणा प्रस्तुत करनी होगी.