उत्तर प्रदेश के चुनाव में डेढ़ साल का वक्त बचा है. ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रोजगार को लेकर कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. यूपी सरकार का दावा है कि 4 सालों में उसने लगभग चार लाख नौकरियां दी हैं और आने वाले वक्त में और भी सरकारी नौकरियां दी जाएंगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नौकरियों के मामले में खुद ड्राइविंग सीट पर बैठे हैं.
उन्होंने सरकार की तरफ से दी जा रही सभी नौकरी पर नजर जमा रखी है. इतना ही नहीं वे नियुक्ति पत्र भी बांट रहे हैं. योगी नियुक्ति पत्र मांगते वक्त अभ्यर्थियों से बात करते हैं और खुद यह पूछते हैं कि किसी को नौकरी के लिए सिफारिश तो नहीं करनी पड़ी, किसी को नौकरी के लिए घूस तो नहीं देनी पड़ी?
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले चार सालों में योगी सरकार ने चार लाख लोगों को नौकरियां दी हैं. गुरुवार को भी सीएम योगी ने 3209 नलकूप चालकों को नियुक्ति पत्र वितरित किया और सफल अभ्यर्थियों से संवाद किया. इन दिनों हर भर्ती प्रक्रिया के बाद सीएम योगी खुद अभ्यर्थियों से संवाद कर भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता को परखते हैं.
अदालत ने भी यूपी की भर्ती प्रक्रिया की सराहना की है. योगी सरकार का कहना है कि कोविड काल के दौरान भी यूपी में भर्ती प्रक्रिया नहीं रुकी और यूपी सबसे ज्यादा नौकरी और रोजगार देने वाला प्रदेश बन गया है. नलकूप संचालक के लिए सीएम योगी ने मिशन शक्ति के तहत पहली बार इस पद पर महिलाओं की भर्ती की है, कुल 516 महिलाओं की भर्ती हुई है.
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यूपी में विभागवार भर्ती का आंकड़ा
पुलिस विभाग-137253
बेसिक शिक्षा- 121000
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन- 28622
यूपी लोक सेवा आयोग- 26103
उत्तर प्रदेश अधीनस्थ चयन बोर्ड- 16708
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण- 8556
माध्यमिक शिक्षा विभाग- 1400
यूपीपीसीएल- 6446
उच्च शिक्षा- 4615
चिकित्सा शिक्षा विभाग- 1112
सहकारिता विभाग- 726
नगर विकास- 700
वित्त विभाग- 614
तकनीकी शिक्षा- 365
चुनाव के बाद सरकारों को सबसे अधिक रोजगार को लेकर ही जनता की खरी-खोटी सुननी पड़ती है. बिहार चुनाव में नीतीश कुमार और बीजेपी सरकार के लिए सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार ही था और बीजेपी सरकार के लिए यह सबसे बड़ा सिरदर्द भी. शायद यही वजह है कि योगी सरकार अभी से नौकरियों के मुद्दे पर फ्रंट फुट पर आ गई है.