पहाड़ों पर हो रही लगातार बारिश और अन्य प्रदेशों से पानी छोड़े जाने की वजह से यूपी में नदियां उफान पर हैं. वाराणसी सहित कई जगहों पर नदियां या तो खतरे के निशान के पार पहुंच चुकी है या पहुंचने वाली है. इस वजह से पूरे प्रदेश में जल प्रलय जैसे हालात पैदा हो गए हैं.
इन्हीं हालातों के मद्देनजर यूपी के जल शक्ति विभाग मंत्री (सिंचाई एवं जल संसाधन, बाढ़ नियंत्रण, लघु सिंचाई, नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग), डॉ. महेंद्र सिंह बलिया के बाद वाराणसी पहुंचे. उन्होंने हवाई निरीक्षण के साथ ही बाढ़ग्रस्त इलाकों और बाढ़ राहत शिविरों का स्थलीय दौरा किया और बताया कि 2-4 दिनों में नदियों का जलस्तर कम हो जाएगा.
वाराणसी के सरैया इलाके के प्राथमिक स्कूल के निरीक्षण के दौरान यूपी के जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने बताया कि हवाई के अलावा जमीनी निरीक्षण भी किया गया है. राजस्थान और मध्य प्रदेश से 22 लाख क्यूसेक पानी आया है. जिससे चंबल और यमुना का जलस्तर बढ़ा और फिर यमुना से होते हुए गंगा में पानी आ गया.
बनारस में गंगा के जलस्तर बढ़ने से वरूणा में भी बाढ़ का पानी आ गया है, जो कई मुहल्लों में चला गया है. लेकिन जिला प्रशासन ने एक-एक व्यक्ति के बारे में व्यवस्था किया है और राहत शिविर में भी रहने और खाने की व्यवस्था की गई है. NDRF, SDRF और PAC लगी हुई. शासन-प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है.
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उन्होंने कहा कि सारी व्यवस्था देखने के बाद मुख्यमंत्र को रिपोर्ट करूंगा. जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की सक्रियता से लोगों को लाभ हुआ है. उन्होंने आगे बताया कि बलिया के बाद बनारस आया हूं. बनारस में निरीक्षण के बाद समीक्षा बैठक होगी, जिसके बाद सभी व्यवस्था पर विचार होगा.
उन्होंने पानी छोड़ने वाले प्रदेशों से बात करने के सवाल के जवाब में बताया कि अतिवृष्टी अन्य प्रदेशों में भी हुई है. राजस्थान और मध्य प्रदेश में बहुत पानी बरसा है. बातचीत लगातार चल रही है. उनकी ओर से छोड़े गए पानी की वजह से जलस्तर बढ़ा है. हालांकि अब कई इलाकों में बारिश कम हो रही है और पानी घट रहा है. इटावा, औरेया और जालौन का भी जलस्तर नीचे जा रहा है. 2-4 दिनों में पानी घट जाएगा और लोग सुरक्षित हो जाएगें.