देहरादून में WII एक नई ड्रोन तकनीक पर काम कर रहा है जिससे ड्रोन जंगली जानवरों के साथ संघर्ष के शिकार हुए लोगों को बचाने का काम कर सकते हैं.
WII ड्रोन का करेगा जंगलों में
इस्तेमाल
देहरादून के भारतीय वन्यजीव संस्थान(WII) के वैज्ञानिकों ने जंगलों में और उनके आसपास के इलाकों में बढ़ते मानव-पशु संघर्ष के मामलों पर काबू पाने के लिए ड्रोन इस्तेमाल करने का
फैसला किया है. कार्बेट टाइगर रिजर्व के फील्ड निदेशक समीर सिन्हा ने कहा कि यूएवी ड्रोन
जैसी तकनीक से वन्य जीव प्रबंधन में बड़ी मदद मिल सकती है और इससे
लोगों को और जानवरों को बचाया जा सकता है.
ड्रोन कैसे करेगा जंगलों में निगरानी और नियंत्रण
इस नई ड्रोन तकनीक योजना के प्रभारी और डब्ल्यूआईआई के वन्यजीव वैज्ञानिक के.रमेश ने बताया कि वन्यजीवों की नियमित
निगरानी के अलावा हमने पाया है कि ड्रोन का इस्तेमाल इन संघर्षों को नियंत्रित करने के लिए भी किया जा सकता है हम वन क्षेत्रों पर कम दूरी में इन विमानों को उड़ा सकते हैं और यह पता लगा
सकते हैं कि क्या कोई हाथी या बाघ जैसा कोई बड़ा जीव पास के गांवों में भटक गया है अगर ग्रामीणों को पता चलता है कि कोई जंगली जानवर गांवों के पास पहुंच रहा है तो वह वन विभाग को
सूचना दे सकते हैं तभी वन विभाग जीपीएस तथा हाई रिजोल्यूशन वाले कैमरे से लैस ड्रोन इलाके में भेज कर उस जानवर की स्थिति का पता लगा सकता है रमेश ने कहा कि इसके बाद उस जानवर
को अधिकारी वापस जंगल में भेज देंगे विशेषज्ञों के अनुसार ड्रोन का उपयोग खास तौर पर हाथियों की गतिविधियों का पता लगाने में किया जा सकता है ये हाथी अक्सर भोजन की तलाश में जंगलों से
बाहर आ जाते हैं और गांवों में तबाही मचा देते हैं.
इनपुट-भाषा