धूम्रपान करना वैसे तो हानिकारक है. लेकिन, उत्तराखंड टनल हादसे में एक शख्स मलबे में दबने से सिर्फ इसलिए बच गया, क्योंकि उसने बीड़ी पीने के लिए पांच मिनट का ब्रेक लिया था और टनल से बाहर निकल आया था. जब यह शख्स टनल के बाहर बीड़ी पी रहा था, उसी समय लैंडस्लाइड की वजह से बड़ा हादसा हो गया और 40 लोग अंदर फंस गए. अब इन लोगों को बाहर निकालने के लिए चार दिन से रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है.
बता दें कि रविवार को उत्तरकाशी-यमुनोत्री हाइवे के पास लैंडस्लाइड से निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में 40 मजदूर फंस गए थे. राहत और बचाव कार्य का बुधवार को चौथा दिन है. सुरंग के अंदर मलबे में 900 मिमी पाइप लगाकर रास्ता बनाने की कोशिश की जा रही है. मंगलवार रात ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम शुरू किया गया. पाइप डालते वक्त ऑगर ड्रिलिंग मशीन में खराबी आ गई.प्लेटफॉर्म भी टूट गया. जिससे काफी देर तक राहत और बचाव कार्य प्रभावित रहा. बाद में नए सिरे से प्रयास किया गया.
'आंखों के सामने हुआ हादसा'
झारखंड के मदन सिंह (5) ने उत्तरकाशी टनल हादसे को लेकर चौंकाने वाली कहानी सुनाई है. मदन कहते हैं कि वो बीड़ी पीने के लिए शौकीन हैं. रविवार को जब टनल में अंदर काम कर रहे थे, तब उसे बीड़ी पीने की तलब हुई और वो 5 मिनट का ब्रेक लेने की बात कहकर बाहर निकल आया था. मदन सिंह का यह फैसला उसके लिए भाग्यशाली रहा और वो हादसे का शिकार होने से बाल-बाल बच गया. अब मदन भी आंखों देखे हादसे को यादकर सिहर उठते हैं.
'चट्टान पर बैठकर बीड़ी पी रहा था'
TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, मदन कहते हैं कि वहां सुरंग के अंदर उसके 44 सहयोगी मजदूर काम कर रहे थे. उसे काम के बीच हमेशा हर दो या तीन घंटे में बीड़ी पीने की आदत है. रविवार सुबह उसने काम से पांच मिनट का ब्रेक लिया और सुरंग से बाहर मुहाने के करीब एक चट्टान पर बैठ गया. बीड़ी पीते वक्त उसने देखा कि सुरंग की छत से मिट्टी और चट्टानें झरने लगी हैं. तेजी से मलबा गिरने लगा है. बिना कुछ सोचे-समझे तेजी से बाहर की तरफ दौड़ लगा दी. अगर कुछ पल की देर होती तो शायद वो भी अन्य मजदूरों के साथ मलबे में फंस जाता.
'सुरंग के अंदर जाने वाला था...'
मदन ने कहा, मैंने बीड़ी लगभग खत्म ही कर ली थी और फिर से काम शुरू करने की तैयारी कर रहा था. तभी मैंने मलबे के गिरने की तेज आवाज सुन ली थी. चंद सेकेंड्स में सैकड़ों टन मलबा सुरंग पर गिर गया था. यह सब सिर्फ कुछ मीटर की दूरी पर हुआ. घटना के बाद सुरंग का रास्ता अवरुद्ध हो गया. मलबा ढहने से पहले सिर्फ चार अन्य लोग सुरंग से भागने में सफल रहे थे. उनमें से एक मैं भी था.
'अन्य साथियों के निकलने की प्रार्थना कर रहे मदन'
मदन का कहना था कि वो ईश्वर की कृपा से बाल- बच गए हैं. अब अपने सहयोगियों के सुरक्षित निकलने की प्रार्थना कर रहे हैं. जिस स्थान पर अन्य मजदूर फंसे हुए हैं, वहां बिजली और पानी की पर्याप्त आपूर्ति है. उन्होंने कहा, 'उन्हें बस ऑक्सीजन और भोजन की आवश्यकता होगी.
'फंसे मजदूरों के संपर्क में है प्रशासन'
बताते चलें कि सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए लगातार राहत और बचाव कार्य चल रहा है. बचाव कार्य में लगे अधिकारी लगभग हर घंटे सुरंग के अंदर फंसे हुए श्रमिकों से बात कर रहे हैं और उनके संपर्क में हैं. अफसरों का कहना है कि श्रमिक स्वस्थ हैं और सुरक्षित हैं. एक अफसर ने कहा, झारखंड के कुछ मजदूरों से बात की गई है. एक परिजन ने भी बात की है. उनसे भोजपुरी में बातचीत की गई और आश्वासन दिया है कि जल्द ही सुरक्षित निकाल लिया जाएगा.
'दवा और राशन भेजा गया'
प्रशासन का कहना है कि सभी विशेषज्ञ और इंजीनियर साइट पर हैं और बचाने के लिए 24 घंटे काम कर रहे हैं. एसडीआरएफ ने पानी के पाइप के जरिए सुरंग के अंदर सिरदर्द और बुखार की दवाएं भी भेजी हैं. उन्हें सूखे मेवे समेत सूखा राशन भी भेजा गया. टनल के अंदर बिजली है. इससे उन अफवाहों पर भी विराम लग गया है कि फंसे हुए मजदूर अंधेरे की वजह से परेशान हैं.