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एक चिट्ठी उत्तराखंड से...

पहाड़ी राज्‍य उत्तराखंड में मची तबाही ने सबको झकझोर कर रख दिया है. जल प्रलय में हजारों लापता है. मरने वाले लोगों की संख्‍या 130 से ज्‍यादा हो गई है.

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Uttarakhand Flood
Uttarakhand Flood

पहाड़ी राज्‍य उत्तराखंड में मची तबाही ने सबको झकझोर कर रख दिया है. जल प्रलय में हजारों लापता है. मरने वाले लोगों की संख्‍या 130 से ज्‍यादा हो गई है. 65 हजार से ज्‍यादा लोग अभी भी अलग-अलग जगहों पर फंसे हुए है. सेना के जवान और स्‍थानीय प्रशासन राहत और बचाव के कार्यों में जुटा हुआ है.

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इधर, फेसबुक और टि्वटर पर भी लोगों ने मदद की अपील शुरू कर दी है. कई मर्मस्‍पर्शी संदेश पढ़ने को मिल रहे हैं. उन्‍हीं संदेशों में से एक संदेश उत्तराखंड के लोहघाट से श्रीनिवास ओली का है. आप भी पढ़ें और वहां के लोगों के लिए दुआ करें...

सैलानियो, आपका शुक्रिया!
तीर्थयात्रा पर आए श्रद्धालुओं, आपका भी शुक्रिया! आप सभी का शुक्रिया कि आपकी मौजूदगी से ही सही, हमारा दर्द दुनिया को दिखने तो लगा है. कुछ महीनों के बाद यात्रा सीजन खत्म हो जाएगा. उसके बाद, हम भी इन तबाह खेतों के बीच फिर से अपने सपनों की फसलें रोपेंगें, बर्बाद हो चुके अस्पतालों में जिंदगी की उम्मीद खोजेंगे और खंडहरनुमा स्कूलों में बच्चों के मासूम सवालों के जवाब सोचेंगे. क्योंकि, आप सभी के लौटने के साथ ही ये तमाम तामझाम और चमकते कैमरे भी यहां से विदा ले लेंगे, हमेशा की तरह.

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यहां उपजे इस अंधेरे को दूर करना कुछ मुश्किल जरूर होगा, क्योंकि रोशनी के लिए पहाड़ों की देह को छलनी कर सुरंगों का जाल बनाने की औकात हमारी नहीं है. हमारे पास दैत्याकार मशीनें नहीं, बल्कि मामूली सी कुदालें ही हैं. पहाड़ों को सीढ़ीनुमा खेतों में बदलने में ही हमारी कई पीढ़ियां गुजर जाती हैं. इससे पहले कि वहां से दो मुट्ठी अनाज हमारे घरों तक पहुंचे, सब कुछ मलबे के ढेर में बदल जाता है... और ऐसा यहां कभी-कभी नहीं बल्कि अक्‍सर होता है. अब आप ये ना कहना कि, फिर भी यहीं रहना क्यों जरूरी है. बस यूं समझ लीजिए कि ये हमारा घर है, ठीक वैसा ही घर जहां पहुंचने का आप सभी को बेसब्री से इंतजार है. ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ आपका एक बार फिर से शुक्रिया!

श्रीनिवास ओली- लोहघाट, उत्तराखंड

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