उत्तराखंड के उत्तरकाशी की टनल में हुए हादसे में 41 लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए प्रयास जारी है. वहीं हिमाचल प्रदेश में भी साल 2015 में कुछ ऐसा ही हादसा हुआ था. दरअसल हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर में 4 लेन निर्माण के दौरान टनल में मलबा गिरने से 3 मजदूर उसमे फंस गए थे. जिन्हें टनल से बाहर निकलने के लिए एक बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन किया गया.
ये रेस्क्यू ऑपरेशन 9 दिन तक चला. बिलासपुर की तत्कालीन जिला उपायुक्त मानसी सहाय ने खुद ग्राउंड जीरो पर उतर कर दिन रात इस रेस्क्यू ऑपरेशन को मॉनिटर किया था. मानसी सहाय ने आजतक से बातचीत में बताया कि उस समय शुरुआती जानकारी में ये पता लगाना मुश्किल था कि टनल में कितने मजदूर फंसे हुए हैं. करीब 3 दिन बाद ये पता लगाया गया कि टनल में 3 मजदूर हैं. उनसे संपर्क करने के लिए सभी प्रयास किए गए थे.
हिमाचल में कैसे हुआ रेस्क्यू ऑपरेशन
उन्होंने बताया कि उस समय सितंबर 2015 में बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था. कई लोग विरोध करने भी आए, लेकिन सभी को समझाया गया कि हमें काम करने के लिए आपकी जरूरत है. आप विरोध करने की जगह साथ दें और रेस्क्यू में मदद करें. उन्होंने कहा टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए 9 दिन का समय लगा, लेकिन इस दौरान मौके पर तकनीक के साथ-साथ बहुत सी चीजें महत्वपूर्ण दिखीं. साथ ही टनल पर होरिजोंटल से साथ साथ वर्टिकल खुदाई भी की गई थी.
मानसी सहाय ने सीएम धामी को मिलाया फोन
मानसी सहाय ने बताया कि जब उन्हें उत्तरकाशी टनल हादसे के बारे में पता चला तब उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात की. मानसी सहाय ने उन्हें अपने बिलासपुर टनल हादसा 2015 के अनुभव और तकनीकी पहलू भी साझा किए. मानसी सहाय ने कहा समय जाया न करते हुए टनल को वर्टिकल भी खुदाई करवाएं.
9 दिन बाद निकले थे मजदूर
मानसी सहाय ने बताया कि उन्होंने खुद दिन रात खड़े होकर टनल में फंसे मजदूरों से संपर्क साधा और मजदूरों के परिजनों को ढांढस बंधाया. ये बहुत ही जरूरी है. साथ ही मानसिक रूप से उनकी काउंसलिंग करवाई. जिससे टनल में फंसे मजदूरों का हौंसला बना रहे. आखिर में टनल में फंसे मजदूरों को 9 दिन बाद निकाला गया, जिनमें 1 मजदूर की मौत हो गई बाकी 2 अभी भी सकुशल हैं.
मानसी सहाय ने बताया कि अक्सर पहाड़ों पर हो रहे टनल निर्माण में इस तरह के हादसे होते हैं. जिससे हमें सबक लेने की जरूरत है. टनल के भीतर ही एक रास्ता या अल्टरनेट रूट बनाया जाना बेहद जरूरी है. ताकि अगर निर्माण के दौरान या निर्माण के बाद कोई हादसा हो तो तुरंत वहां से निकला जा सके.