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'एयरपोर्ट पहुंची तो गोलीबारी शुरू हो गई', अफगानिस्तान से लौटी सविता ने बताई वहां की दास्तां

'शाम 6 बजे के आसपास मिलिट्री एयरपोर्ट पर जैसे ही अमेरिकी और नाटो सेना के साथ काम करने वाले लोग एयरपोर्ट के करीब पहुंचे तो अचानक तालिबान लड़ाकों ने गोलाबारी शुरू कर दी. ऐसी स्थिति में सभी लोगों को एयरपोर्ट से वापस उनके कैंप लौटा दिया गया.'

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अफगानिस्तान से सुरक्षित लौटीं सविता शाही
अफगानिस्तान से सुरक्षित लौटीं सविता शाही
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अमेरिकी और नाटो सेना के साथ 8 साल से काम कर रही थीं सविता
  • 'IAF ने अपने विमानों से दोहा, दुबई और नॉर्वे तक लोगों को पहुंचाया'
  • सीट न मिलने के बाद भी लोग फर्श पर बैठकर वतन पहुंचेः सविता

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद खराब होते हालात के बीच भारत अपने फंसे नागरिकों को निकालने में लगा हुआ है. इस बीच काबुल में नाटो और अमेरिका सेना की मेडिकल टीम के साथ पिछले 8 साल से हिस्सा रही सविता शाही दो दिन पहले ही देहरादून सही सलामत पहुंची हैं. स्वदेश लौटने पर सविता ने अफगानिस्तान के हालात को अपने शब्दों में बयां किया.

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सविता शाही कहती हैं कि पिछले 8 साल के दौरान अमेरिकी और नाटो सेना के साथ काम करने के दौरान उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन भारतीय वायुसेना ने ग्लोबल लीडर की क्षमता दिखाते हुए न सिर्फ भारतीय राजनयिकों और कर्मचारियों का रेस्क्यू किया. नाटो और अमेरिकी सेना के साथ-साथ कई दूसरे लोगों को भी सुरक्षित बचाते हुए अपने विमानों से दोहा, कतर, दुबई और नॉर्वे तक पहुंचाया.

'नहीं पता था कि इतना जल्दी बदल जाएगा'
अफगानिस्तान से लौटीं देहरादून निवासी महिला सविता पिछले 8 साल से वहां काम कर रही थीं लेकिन इतने बुरे हालात आज तक उन्होंने कभी नहीं देखा. सविता ने बताया कि नाटो और अमेरिकन सेना की मेडिकल टीम में काम करने के दौरान ऐसा कुछ आभास नहीं हुआ था कि अफगानिस्तान में सब कुछ इतना जल्दी बदल जाएगा और चारों तरफ हाहाकार मच जाएगा. 13 और 14 अगस्त को तालिबान ने अचानक काबुल पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद लोग अपना जीवन बचाने का जद्दोजहद करने लगे.

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सविता शाही ने बताया कि 15 अगस्त को काबुल एयरपोर्ट पर तालिबान का पूर्ण रूप से कब्जा हो गया था, जिसकी वजह से सभी उड़ानें बंद हो गईं थी. ऐसे में 16 अगस्त की शाम अमेरिकन सेना के मिलिट्री एयरपोर्ट जो सिविल एयरपोर्ट के बेहद नजदीक ही है, वहां से मेडिकल टीम मेंबर सहित दूसरे लोगों को रेस्क्यू की तैयारी होने लगी.

'एयरपोर्ट पहुंचते ही गोलीबारी शुरू हो गई' 
'शाम 6 बजे के आसपास मिलिट्री एयरपोर्ट पर जैसे ही अमेरिकी और नाटो सेना के साथ काम करने वाले लोग एयरपोर्ट के करीब पहुंचे तो अचानक तालिबान लड़ाकों ने गोलीबारी शुरू कर दी. ऐसी स्थिति में सभी लोगों को एयरपोर्ट से वापस उनके कैंप लौटा दिया गया और देर रात या अगली सुबह तक इंतजार करने को कहा गया.'

वहां के हालात के बारे में सविता शाही आगे बताती हैं कि बाहर स्थिति ऐसी थी कि सभी लोग अपने वतन वापसी की जुगत कर रहे थे. इसी बीच उनके कैंप के एक सदस्य जो लगातार इंडियन एंबेसी के अधिकारी के संपर्क में थे, उन्हें जानकारी मिली कि भारतीय वायुसेना का एयरक्राफ्ट भारतीय राजनयिकों, कर्मचारियों और उनके परिवारों के रेस्क्यू करने के लिए मिलिट्री एयरपोर्ट पर आने वाला है.

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'लोग फर्श पर बैठकर लौटे'
भारतीय वायुसेना के विमान में सीट न मिलने के बाद भी कई लोगों ने जमीन पर बैठकर सफर तय किया और वतन वापसी की. करीब 3.30 बजे अलग-अलग विमानों से काबुल से आए लोगों को दिल्ली ले जाया गया.

जिसके बाद भारतीय दूतावास के अधिकारी की मदद से अमेरिकी सेना के मेडिकल कैंप से कुल 7 लोग सुबह 6.10 बजे पर भारतीय वायुसेना के विमान में बैठ गए. सुबह लगभग 7:30 बजे भारतीय वायुसेना के विमान ने 150 लोगों को लेकर जामनगर गुजरात के लिए उड़ान भरी, जिसके बाद सभी लोगों ने राहत की सांस ली.

17 अगस्त के सुबह साढ़े सात बजे अफगानिस्तान से इंडियन एंबेसी से जुड़े कर्मचारियों और अन्य लोगों को लेकर ITBP कमांडो की टीम गुजरात के गांधीनगर स्थित भारतीय वायुसेना एयरपोर्ट पहुंची थी. इसी भारतीय वायुसेना के क्राफ्ट के रेस्क्यू ऑपरेशन में जिन लोगों को काबुल से लाया गया था. उनमें सविता शाही भी शामिल थीं.

 

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