उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने के बाद हजारों लागों को बेघर होने का डर सता रहा है. प्रशासन ने खतरनाक श्रेणी में आने वाले घरों पर लाल निशान लगाकर उसे खाली करने का आदेश दिया है. लेकिन अब जोशीमठ के बाद उत्तरकाशी के भटवाड़ी में भी लोग डरे हुए हैं.
भटवाड़ी में भी लोगों को जोशीमठ जैसी त्रासदी की आशंका है. भटवाड़ी की भौगोलिक स्थिति भी जोशीमठ से मिलती जुलती है क्योंकि भटवाड़ी गांव और शहर के नीचे गंगा-भागीरथी नदी बहती है और ठीक उसके ऊपर गंगोत्री नेशनल हाईवे है.
गंगोत्री नेशनल हाईवे सामरिक दृष्टि और यात्रा की दृष्टि से भी अति महत्वपूर्ण है लेकिन यहां साल 2010 में गंगा-भागीरथी के कटाव से 50 से ज्यादा मकान जमींदोज हो गए थे. इसके साथ ही गंगोत्री नेशनल हाईवे का एक हिस्सा भी नदी में समा गया था.
प्रशासन के द्वारा साल 2010 में पीड़ित 50 परिवारों को दूसरी जगह शिफ्ट करा दिया गया था. लेकिन जोशीमठ में जमीन धंसने की घटना के बीच भटवाड़ी में सुरक्षित घरों में रहने वाले लोग भी अब डरे हुए हैं क्योंकि मकानों में साल दर साल दरारें बढ़ती जा रही है.
जोशीमठ की घटना के बाद भटवाड़ी के लोग ढंग से सो भी नही पा रहे हैं. अपनी पीड़ा बताते हुए ग्रामीणों के आंख से आंसू छलक पड़े. उन्होंने बताया कि उन्हें ना सिर्फ जमीन के धंसने का डर है बल्कि जोन पांच में आने वाले इस क्षेत्र में भूकंप की वजह से भी उन्हें अपने घर को खोने का भय है.
भू वैज्ञानिकों से प्रारंभिक और डिटेल सर्वे के बाद प्रशासन ने भटवाड़ी के 50 परिवारों के पुनर्वास की अनुशंसा कर सरकार को रिपोर्ट भेज दी है लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
अत्यधिक संवेदनशील श्रेणी में 26 गांव
आपदा के लिहाज उत्तरकाशी जिले में भटवाड़ी, अस्तल, उडरी, धनेटी, सौड़, कमद, ठांडी, सिरी, धारकोट, क्यार्क, बार्सू, कुज्जन, पिलंग, जौड़ाव, हुर्री, ढासड़ा, दंदालका, अगोड़ा, भंकोली, सेकू, वीरपुर, बड़ेथी, कांसी, बाडिया, कफनौल और कोरना कुल 26 गांव अत्यधिक संवेदनशील चिन्हित किए गए हैं. इनमें से सिर्फ शुरूआती नौ गांवों का ही भूवैज्ञानिकों से डिटेल सर्वे कराया गया है. इन गांवों में खतरे की जद में रहने को मजबूर परिवारों को भी वर्षों से पुनर्वास का इंतजार है.