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रक्षा मंत्री पर्रिकर की UPA को ललकार- बताना होगा चॉपर डील में किसने लिए 125 करोड़

रक्षा मंत्री ने कहा, 'विवाद का प्रश्न यह है कि अगस्ता सौदे में किसने धन लिया. सौदा होने के समय सत्ता में रहे लोगों को जवाब देना होगा.'

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वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने शनिवार को दो टूक शब्दों में कहा कि 125 करोड़ के घूसकांड में पिछली सरकार को जवाब देना ही होगा. उन्होंने कहा कि यूपीए को यह बताना होगा कि अगस्ता सौदे में किस-किसने रिश्वत ली. जबकि कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि मोदी सरकार झूठ की राजनीति कर रही है.

देहरादून में एक समारोह के इतर संवाददाताओं से बात करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, 'विवाद का प्रश्न यह है कि अगस्ता सौदे में किसने धन लिया. सौदा होने के समय सत्ता में रहे लोगों को जवाब देना होगा. इतालवी अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि 125 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. उसने कुछ नामों का भी खुलासा किया था. उस समय की सरकार को जवाब देने की जरूरत है.'

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कंपनी को लाभ पहुंचाने का किया गया प्रयास
केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'जांच यह स्पष्ट कर देगी कि रिश्वत के रूप में कितनी राशि और किसे दी गई, लेकिन जिस तरीके से सौदा किया गया और एक विशेष कंपनी को लाभ पहुंचाने के प्रयास किए गए, उसके बारे में उस समय सत्ता में रहे लेागों को जवाब देना होगा.' उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे पर अधिक बात नहीं करेंगे, क्योंकि यह मामला संसद में सुलझाया जाना है. पर्रिकर ने शहर के चीड़बाग में शहीद स्मारक की आधारशिला रखने के बाद संवाददाताओं से यह बात की.

'राजस्थान में हेलीकॉप्टर पर बीजेपी चुप क्यों'
दूसरी ओर, कांग्रेस की ओर से पलटवार करते हुए सचिन पायलट ने कहा कि मोदी सरकार झूठ की राजनीति कर रही है और यह कांग्रेस व यूपीए को बदनाम करने की कोशिश है. सचिन ने सवाल किया कि जिस कंपनी को लेकर बात हो रही है, उसी कंपनी ने राजस्थान सरकार को हेलीकॉप्टर की सप्लाई की. तब बीजेपी सत्ता में थी, लेकिन इस पर बीजेपी ने चुप्पी साध रखी है.

गौरतलब है कि वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदा उस समय पटरी से उतरा गया था जब इटली ने अगस्ता वेस्टलैंड की पैरेंटकंपनी फिनमेकेनिका के प्रमुख को इस सौदे में रिश्वत देने के लिए गिरफ्तार किया था. अगस्ता वेस्टलैंड के प्रमुख ग्यूसेप ओरसी को दोषी ठहराने वाली इटली की अदालत ने कथित रूप से यह बताया था कि फर्म ने किस प्रकार केंद्रीय नेतृत्व के नेताओं को 3600 करोड़ रुपये का सौदा करने के लिए रिश्वत दी थी.

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