Uttarakhand News: बागेश्वर उत्तरायणी मेले की कुमाऊं के प्रमुख व्यापारिक मेले के रूप में भी पहचान है. इस बार के मेले में भी हस्तशिल्पी उत्पाद लेकर पहुंचे हैं. लोग उत्पादों को हाथों हाथ ले रहे हैं. सबसे ज्यादा हाथ के बने इन लोहे के बर्तनों को लोग खरीद रहे हैं. साल भर इनसे लोहे के बर्तन खरीदने के लिए लोग इंतजार करते हैं . क्योंकि इनके द्वारा बनाये गए बर्तनों को लोग बहुत पसंद करते हैं . इनका लोहे का व्यापार इनके दादा परदादा के जमाने से है.
चंपावत जिले के कमलेख लधौन निवासी दो भाई राजेश कुमार और सुभाष कुमार बागेश्वर मेले में लोहे की कड़ाही और अन्य उत्पाद लेकर पहुंचे हैं. राजेश ने बताया कि उनके दादा और परदादा भी मेले में लोहे के उत्पाद लेकर आते थे. तब सड़क नहीं होती थी और इनके पूर्वज पैदल ही आते थे.
उन्होंने बताया कि समय के साथ लोहे के उत्पादों की बिक्री में कुछ कमी आई है. फिर भी लोहे के उत्पादों के काफी खरीदार हैं. कई स्वादिष्ट पहाड़ी व्यंजन लोहे के बर्तनों में ही बनते हैं. राजेश और सुभाष के लोहे के उत्पाद 300 से लेकर 1,000 प्रति किलो तक की दर से बिक रहे हैं. उन्हें मेेले में लोहे के उत्पादों की अच्छी बिक्री होने की उम्मीद है.