उत्तराखंड हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सोमवार को बनभूलपुरा हिंसा के कथित मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक की जमानत याचिका पर सुनवाई की. पीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए उसे हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष जाने को कहा, क्योंकि यह गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज किया गया मामला है.
30 अगस्त को मलिक की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस रवींद्र मैठाणी की एकल पीठ ने इस कानूनी सवाल पर फैसला सुरक्षित रख लिया था कि इस मामले की सुनवाई एकल पीठ करेगी या खंडपीठ. इसमें कहा गया था कि यह फैसला इस मुद्दे में दखल नहीं देगा कि जमानत दी जाएगी या नहीं.
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अभियोजन पक्ष ने दी थी ये दलील
जमानत याचिका का निपटारा करते हुए जस्टिस मैठाणी ने याचिकाकर्ता को खंडपीठ के समक्ष अपील दायर करने की अनुमति दी. मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से दलील दी गई कि मामले में यूएपीए लगाया गया है, इसलिए खंडपीठ को मामले की सुनवाई करनी चाहिए.
हालांकि, आरोपी की ओर से कहा गया कि मामले की जांच रेगुलर पुलिस कर रही है, इसलिए इसकी सुनवाई एकल पीठ द्वारा की जा सकती है.
8 फरवरी को हुई थी हिंसा
मलिक को 8 फरवरी को हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में हुई हिंसा का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है. यह हिंसा अतिक्रमण की गई जमीन पर बने "अवैध" मदरसे और उसके परिसर में नमाज अदा करने के लिए बनाए गए ढांचे को गिराने को लेकर हुई थी. इस हिंसा में कुल 6 लोगों की मौत हो गई थी और पुलिसकर्मियों तथा पत्रकारों समेत सौ से अधिक लोग घायल हो गए थे.
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त्तराखंड पुलिस ने हिंसा के मास्टमाइंड अब्दुल मलिक को पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार किया था. आरोपी हिंसा के बाद से फरार चल रहा था, जिसकी तलाश में पुलिस की कई टीमें लगी हुई थीं. पुलिस ने आरोपी के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया था और करीब डेढ़ महीने बाद 24 फरवरी को उसकी गिरफ्तारी हुई थी.