देश के सरकारी सिस्टम में लापरवाही का खेल किस कदर चल रहा है, इसका ताजा उदाहरण देहरादून में तब देखने को मिला, जब एक बेटा बैंक की आंखों में धूल झोंककर 1981 से मरे हुए अपने पिता को जीवित बताकर हर महीने मिलने वाली पेंशन की रकम 37 साल से डकारता रहा. इस मामले की भनक लगते ही देहरादून के डालनवाला स्थित SBI बैंक की मुख्य शाखा के एजीएम विनय खत्री ने इस शख्स के खिलाफ कोतवाली डालनवाला में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करवाया है.
मृत पिता की उम्र 100 साल होने पर खुला राज
वन विभाग में नौकरी करने वाले कुमुदकांत सरकार का जन्म 1899 में हुआ. कुमुदकांत सरकार वन विभाग में क्लर्क पद पर काम करते थे. उनकी मौत 1981 में हो गई. उसके बाद 37 साल से उनका बेटा यूके सरकार अपने पिता के फर्जी दस्तावेज को दिखाकर बैंक से पेंशन लेता रहा. इस फर्जीवाड़े का राज़ तब खुला जब पिता कुमुदकांत सरकार की उम्र 100 साल होने के बाद दिल्ली चांदनी चौक स्थित SBI बैंक हेड ऑफिस ने देहरादून की मुख्य SBI शाखा से पेंशनर कुमुदकांत सरकार की फिजिकल रिपोर्ट मांगी. बैंक अधिकारीयों ने जब उनके घर जाकर देखा तो उनके होश उड़ गए, उन्हें पोते से पता चला कि कुमुदकांत सरकार जो उसके दादा थे, वो वर्षों पहले 1981 में ही गुजर चुके हैं.
धोखेबाज़ बेटे की हरकत
इस मामले का राज खुलने के बाद जब बैंक वालों ने आरोपी बेटे को बैंक आने के लिए कहा, तो उसने जवाब दिया कि पेंशन बंद कर दो और वो अभी नहीं आ सकता. उसने 6 मार्च के बाद बैंक आने की बात कही.
पीएनबी बैंक घोटाले के बाद अन्य बैंकों की नींद टूटी
पिछले दिनों देश में पीएनबी बैंक द्वारा करोड़ों का घोटाला सामने आने के बाद अब कुछ बैंकों की नींद टूटती नजर आ रही है. इसी कड़ी में देहरादून से बैंक को धोखा देकर पिता की पेंशन लेने का मामला सामने आया है. ना जाने ऐसे कितने धोखेबाज सरकारी सिस्टम की लापरवाही और मिलीभगत का फायदा उठाकर सरकार के खजाने में सेंध लगा रहे हैं.
फिलहाल बैंक इस पेंशन धोखेबाजी से जुड़े पिछले 37 वर्षों तक जमा होते रहे फर्जी दस्तावेजों को खंगाल कर सबूत को जुटाने में लगा है. ताकि कानूनी कार्रवाई कर रिकवरी की जा सके.
जानकारी जुटा रही है पुलिस
SBI बैंक मैनेजर द्वारा इस मामले की गंभीरता सामने आने के बाद बैंक ने डालनवाला कोतवाली में मुकदमा दर्ज करवाया. पुलिस ने अपनी कार्रवाई शुरू कर देहरादून के क्लेमनटाउन की नई बस्ती में रहने वाले आरोपी से पूछताछ के लिए बाकायदा एक टीम बनाकर पूछताछ शुरू कर दी. देश में हुए पीएनबी घोटाले के बाद बैंक या पुलिस किसी भी तरह जोखिम नहीं उठाना चाहती. ऐसे में इस मामले को बड़ी ही गंभीरता से लिया जा रहा है और रकम की जानकारी जुटाई जा रही है. वैसे 37 साल जो रकम लगातार हर महीने ली जा रही हो, उसे छोटा तो नहीं माना जा सकता.