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उत्तराखंड में भ्रष्टाचार और शिष्टाचार पर्यायवाची बने: खंडूरी

उत्तराखंड सरकार पर घोटालों में घिरे होने का आरोप लगाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी ने कहा कि प्रदेश में भ्रष्टाचार और शिष्टाचार पर्यायवाची बन गये हैं.

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उत्तराखंड सरकार पर घोटालों में घिरे होने का आरोप लगाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी ने कहा कि प्रदेश में भ्रष्टाचार और शिष्टाचार पर्यायवाची बन गये हैं.

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खंडूरी ने कहा कि भ्रष्टाचार को रोकने के मकसद से उनकी पूर्ववर्ती सरकार द्वारा वर्ष 2011 में उठाये गये ज्यादातर उपायों को प्रदेश की वर्तमान कांग्रेस सरकार ने या तो निरस्त कर दिया या ठंडे बस्ते में डाल दिया.

पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार द्वारा उठाये गये कदमों में मुख्यत: लोकायुक्त कानून, स्थानांतरण अधिनियम और जनसेवा अधिकार अधिनियम का जिक्र किया.

उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन के लिये स्वतंत्र और निष्पक्ष लोकायुक्त नियुक्त किये जाने के लिये विधानसभा ने एक विधेयक पारित किया था, जिसके तहत लोकायुक्त द्वारा मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक सहित सभी लोकसेवकों के विरूद्ध जांच की जा सकती है.

उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि इस विधेयक को आज तक केंद्र सरकार से मंजूरी नहीं मिली और इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी तरह जनसेवा को समयबद्ध रूप से सुनिश्चित करने के लिये जनसेवा अधिकार अधिनियम बनाया गया था. इसके अन्तर्गत 86 से अधिक सेवायें रखी गयी, लेकिन इस कानून का पालन नहीं किया जा रहा है.

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खंडूरी ने कहा कि सरकारी सेवाओं में कार्मिकों के वार्षिक स्थानांतरण में भ्रष्टाचार और सिफारिश को रोकने के लिये कानून बनाया गया था, जिसे विजय बहुगुणा की सरकार ने निरस्त कर दिया.

पूर्व मुख्यमंत्री ने कांग्रेस सरकार को इस बात के लिये भी आड़े हाथों लिया कि चुनाव से पूर्व जारी किये गये उनके घोषणापत्र के दावे भी केवल हवाई साबित हुए हैं और धरातल पर कुछ नहीं किया जा रहा.

उन्होंने कांग्रेस की इस बात के लिये भी आलोचना की कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा वर्ष 2008 में पहाड़ी क्षेत्रों के विकास और युवाओं का पलायन रोकने के मकसद से लायी गयी औद्योगिक नीति को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.

इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि कांग्रेस के केंद्र की सत्ता में काबिज होने पर उत्तराखंड के लिये लागू औद्योगिक पैकेज में कटौती किये जाने के बाद प्रदेश की भाजपा सरकार उसकी भरपाई के तौर पर यह नीति लायी थी.

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