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कॉर्बेट पार्क में अवैध निर्माण, केंद्र की रिपोर्ट में पूर्व मंत्री हरक सिंह समेत इन अफसरों का आया नाम

उत्तराखंड के प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में अतिक्रमण को लेकर केंद्र ने एनजीटी को रिपोर्ट सौंप दी है. इस रिपोर्ट में वन मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि कॉर्बेट पार्क में अवैध निर्माण हुआ है. इसके लिए कई अधिकारियों के साथ पूर्व वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत को भी जिम्मेदार ठहराया गया है.

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हरक सिंह रावत (फाइल फोटो)
हरक सिंह रावत (फाइल फोटो)

उत्तराखंड के प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व एरिया में अवैध इमारतों के निर्माण को लेकर केंद्र सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को रिपोर्ट सौंपी है. केंद्र सरकार ने एनजीटी के समक्ष स्वीकार किया है कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कोर एरिया और बफर एरिया में इमारतों का अवैध निर्माण हुआ है. केंद्रीय वन मंत्रालय को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अवैध निर्माण मामले में भारी वित्तीय गड़बड़ी मिली है. 

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वन मंत्रालय ने कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के अवैध निर्माण और वन्य जीव क्षेत्र में निर्माण के लिए उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत सहित जिन अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है, उनमें शामिल हैं-

1. जबर सिंह सुहाग (तत्कालीन मुख्य वन्यजीव वार्डन)
2. सुशांत पटनायक (सीसीएफ गढ़वाल)
3. राहुल ((तत्कालीन निदेशक, कॉर्बेट)
4. अखिलेश तिवारी (डीएफओ)
5. किशन चंद्र (डीएफओ कालागढ़)
6. मथुरा सिंह मावड़ी (तत्कालीन वन परिक्षेत्र अधिकारी)
7. श्री ब्रज विहारी शर्मा (वन परिक्षेत्र अधिकारी)
8.  एल.आर. नाग (तत्कालीन एसडीओ)
9. उत्तराखंड सरकार में कार्यरत अधिकारी, जिन्होंने अंतिम चरण II निकासी से पहले वित्तीय स्वीकृति जारी की

बढ़ेंगी हरक की मुश्किलें
केंद्रीय वन मंत्रालय ने एनजीटी में अपनी जो रिपोर्ट दाखिल की है, उससे पूर्व बीजेपी नेता और कैबिनेट मंत्री रहे हरक सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. बीजेपी ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें पार्टी से निकाल दिया था, जिसके बाद हरक सिंह कांग्रेस में शामिल हो गए थे. एनजीटी में दाखिल रिपोर्ट में वन मंत्रालय ने डॉ. हरक सिंह रावत (तत्कालीन उत्तराखंड वन मंत्री) के साथ 10 से अधिक उच्च स्तरीय अधिकारियों को कॉर्बेट नेशनल पार्क के लैंडस्केप और वन्य जीवों के आश्रय के विनाश के लिए जिम्मेदार ठहराया है.

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नियमों की हुई अनदेखी

अपनी रिपोर्ट में केंद्रीय वन मंत्रालय ने कहा है, 'यह स्पष्ट है कि अधिकारियों ने नियमों और कानूनों का पूरी तरह से उल्लंघन किया और इसके लिए उन्होंने सारे नियमों को ताक पर रख दिया.' ऊपर दिए गए अधिकारियों के नामों का जिक्र करते हुए करते हुए केंद्रीय वन मंत्रालय ने कहा, 'गलती करने वाले अधिकारियों / लोगों के खिलाफ उपयुक्त अनुशासनात्मक और कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि यह मामला भविष्य के लिए एक उदाहरण बन सके.'

 

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