उत्तराखंड के राजनीतिक संकट ने शनिवार देर रात एक नया मोड़ ले लिया. केंद्र ने सोमवार को होने जा रहे मुख्यमंत्री हरीश रावत के विश्वास मत परीक्षण से पहले ही प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया है. राज्यपाल के के पॉल की रिपोर्ट के बाद यह फैसला लिया है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को उत्तराखंड विवाद को कांग्रेस पार्टी का अंदरुनी मामला बताया है. उधर विधानसभा स्पीकर ने नौ बागी कांग्रेस विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया है. इसके बाद विधानसभा का अंकगणित पूरी तरह बदल जाएगा.
बागी विधायकों को हटाने से रावत मजबूत
स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल के कांग्रेस के उन नौ विधायकों को अयोग्य ठहराने के कथित फैसले से 70 सदस्यीय विधानसभा में सदस्यों की प्रभावी संख्या 61 रह जाएगी. इन नौ विधायकों ने रावत के खिलाफ बगावत की और बीजेपी से हाथ मिला लिया है. ऐसे में रावत के पास छह समर्थकों के अलावा 27 कांग्रेस विधायक होंगे और इस तरह सदन में सत्तापक्ष के पास 33 विधायक होंगे. ऐसी स्थिति में रावत विश्वासमत परीक्षण जीत जाएंगे.
पीएम मोदी की अगुवाई में उत्तराखंड पर विचार
हालांकि इस स्थिति में कोई अनुमान लगाने से पहले यह देखना होगा कि मोदी सरकार विश्वास मत परीक्षण से पहले क्या करती है. केंद्र सरकार को विधायकों के बगावत से पैदा राज्य की हालिया स्थिति के बारे में राज्यपाल के के पॉल से रिपोर्ट मिल गई है. असम की यात्रा संक्षिप्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजधानी में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आपात बैठक बुलाई. करीब एक घंटे चली इस बैठक में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने समेत केंद्र के सामने उपलब्ध विभिन्न विकल्पों पर विचार किया गया है.
स्पीकर से मिले सीएम हरीश रावत
इस बैठक में फिलहाल राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला टलने की खबर है, लेकिन बताया गया है कि मंत्रिमंडल अंतिम निर्णय लेने के लिए रविवार को फिर बैठक करेगा. इधर जब केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक चल रही थी तब रावत ने बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए विधानसभा स्पीकर कुंजवाल से उनके आवास पर मुलाकात की.
कांग्रेस ने स्टिंग को मजाक बताया
एक ओर उत्तराखंड की स्थिति पर विचार करने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बैठक की, वहीं कांग्रेस ने शनिवार रात जोर देकर कहा कि उसकी सरकार को विधानसभा में बहुमत हासिल है. उसने विधिवत निर्वाचित सरकार को ‘हास्यास्पद स्टिंग ऑपरेशन’ के आधार पर गिराने की कोशिश की निंदा की.
रावत सरकार गिराने की कोशिश में बीजेपी
दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में आनन फानन में प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर पार्टी महासचिव अंबिका सोनी ने मोदी सरकार और बीजेपी की जमकर आलोचना की. उन पर उत्तराखंड की रावत सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि राजनीतिक संकट नहीं होने के बावजूद बीजेपी राष्ट्रपति शासन लगाने के माध्यम से उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए पूरी कोशिश कर रही है.
स्टिंग के बाद राष्ट्रपति से मिले बीजेपी नेता
इससे पहले बीजेपी का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिला. उसने यह कहते हुए उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की कि रावत सरकार को एक स्टिंग ऑपरेशन के बाद सत्ता में बने रहने का अधिकार नहीं है. स्टिंग में उन्हें सदन में विश्वासमत परीक्षण से पहले बागी विधायकों का समर्थन जुटाने के लिए उनसे सौदेबाजी करते हुए देखा गया.
बीजेपी ने राज्यपाल की आलोचना की
राष्ट्रपति को बीजेपी की ओर से सौंपे गए ज्ञापन में राज्यपाल की भी यह कहते हुए आलोचना की गई है कि उन्होंने राज्य सरकार को बर्खास्त करने के विधानमंडल के बहुमत के अनुरोध पर कदम नहीं उठाया. उल्टे उन्होंने रावत को अपना बहुमत साबित करने के लिए 10 दिन का समय दे दिया.