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उत्तराखंड के चमोली में आई आपदा के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन का आज चौथा दिन है. अभी तक 32 शव बरामद किए जा चुके है, जबकि 197 लोग लापता बताए जा रहे हैं. सेना से लेकर एनडीआरएफ की टीम लापता लोगों को बाहर निकालने के काम में लगी हुई है. इस बीच मौत को मात देकर रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान बचाए गए लोगों ने अपनी आपबीती बताई.
तपोवन में भूमिगत टनल के अंदर फंसे कुछ नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) के कर्मचारियों ने कहा, 'जब सभी उम्मीदें खत्म हो गईं, हमने गाने गाए, गढ़वाली और नेपाली गाने गाए, एक-दूसरे को शायरी सुनाई और खुद में आत्मविश्वास बनाए रखने के लिए हर कोशिश की.'
इंडिया टुडे/आजतक ने एनटीपीसी के उन 12 कर्मचारियों के साथ बातचीत की, जिन्हें भारत-तिब्बत सीमा पुलिस ने बचाया था और जोशीमठ के एक आईटीबीपी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है, जो घटनास्थल से लगभग 15 किमी दूर है. बचाए गए लोग करीब 10 घंटे तक जिंदगी और मौत की जंग लड़ते रहे.
एक कर्मचारी ने बताया, 'ठंडा पानी हमारे जूतों में घुस गया था और हमें चलना मुश्किल हो रहा था; हम कांपते रहे, हमने गढ़वाली और नेपाली गाने गाए और अपने शरीर को गर्म रखने के लिए व्यायाम करना शुरू किया, हमने 3-4 घंटे ऐसे ही बिताए, एक ने अपने मोबाइल से कुछ कॉल किए, शाम 4 बजे के करीब आईटीबीपी पहुंची, हमें बचाया गया.'
वीरेंद्र कुमार, जो उन 12 लोगों में से अंतिम थे, जिन्हें बचाया गया था, उन्होंने कहा, 'मैं अपनी टीम को पहले भेजना चाहता था, सात घंटे तक मैंने अपनी टीम का मनोरंजन किया और उनके आत्मविश्वास को बनाए रखा, हमने शायरी सुनाई, गाने गाए और अभ्यास किया.'
वहीं, नेपाल के एक मजदूर ने कहा, 'जब पानी दो मीटर तक बढ़ गया, तो हम एक स्टील की छड़ का उपयोग करके ऊपर चढ़ गए, जब स्तर थोड़ा गिर गया, तो हमने कुछ घंटों के लिए रेंगना (बग़ल में) शुरू किया, हमने मार्ग को अवरुद्ध (मलबे से) पाया, कुछ समय बाद हमने कंपनी को फोन किया, जिसने आईटीबीपी को सतर्क कर दिया.'
एक अन्य नेपाल के मजदूर ने कहा, 'हम अंदर काम कर रहे थे, तभी हमें बाहर आने के लिए कहा गया, हम मुश्किल से 15 मीटर चले थे, तब एक ज़ोर से गड़गड़ाहट ने हमें बहा दिया, कुछ ही मिनटों के भीतर पानी भर गया, हम लोहे की छड़ों का उपयोग करके ऊपर चढ़े, सात मीटर तक जलस्तर बढ़ने के बाद पानी कम हुआ, हम 12 लोग अंदर थे, मलबे ने प्रवाह को अवरुद्ध कर दिया, हमने बग़ल में गेट तक क्रॉल किया, हम सुबह 10 बजे अटक गए और शाम को 5 बजे तक बचा लिया गया.'
खोज और बचाव अभियान में कई एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं, ऐसी खबरें हैं कि कम से कम 35-37 कर्मचारी अभी भी सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं, जिन्हें बाहर निकालने के लिए 600 से अधिक सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के जवान बचाव कार्य में जुटे हुए हैं.