उत्तराखंड में आपदा की चपेट में आकर मारे गए लोगों के अभी तक 556 शव मिले हैं. इस आशय की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि प्राकृतिक आपदा के कारण सैकड़ों लोगों के मारे जाने की आशंका है.
मुख्यमंत्री ने कहा, 'अभी तक कुल 556 शव निकाले गए हैं और इस बात की आशंका जाहिर की जा रही है कि मलबों के अंदर और भी शव दबे हो सकते है.' उन्होंने कहा, 'हिमालय के इतिहास में इस तरह की त्रासदी नहीं हुई थी.' उन्होंने कहा, 'उत्तराखंड के पुनिर्माण में समय लगेगा और अगले दो वर्षों तक केदारनाथ की तीर्थयात्रा संभव नहीं हो सकेगी.'
आपदा से सबसे ज्यादा केदारनाथ ही प्रभावित हुआ है. हिंदुओं के पवित्रतम तीर्थस्थल केदारनाथ में पिछले सप्ताह भारी बारिश और बादल फटने से बड़े पैमाने पर तबाही मची. अभी तक आपदा में मरने वालों की अधिकृत संख्या 200 घोषित है, लेकिन अधिकारियों और राहतकर्मियों ने चेतावनी दी है कि यह संख्या हजारों में नहीं तो सैकड़ों में पहुंच सकती है.
बहुगुणा ने स्वीकार किया कि उत्तराखंड राष्ट्रीय आपदा राहत प्रबंधन के नियमों को पूरा नहीं किया, लेकिन कहा कि उनके प्रशासन को बादल फटने की चेतावनी नहीं दी गई थी. मुख्यमंत्री ने बताया कि अभी तक करीब 30,000 लोगों को निकाला जा चुका है और जो अभी भी फंसे हुए हैं उनकी जान को कोई खतरा नहीं है.
उन्होंने कहा कि यह अत्यंत दुखद है कि इस प्राकृतिक आपदा में असंख्य लोगों की जान गई. लोगों को पूरी तरह से निकालने के काम में और 15 दिन लगेंगे.
उत्तराखंड की आपदा में फंसे लोगों की मदद के लिए हेल्पालाइन नंबर इस प्रकार हैं:
पिथौरागढ़: 05964-228050, 226326
अल्मोड़ा: 05962- 237874
नैनीताल: 05942- 231179
चमोली: 01372- 251437, 251077
रुद्रप्रयाग: 01364- 233727
उत्तरकाशी: 01374- 226461
देहरादून: 0135- 2726066
हरिद्वार: 01334- 223999
टिहरी गढ़वाल: 01376- 233433
बागेश्वर: 05963- 220197
चम्पावत: 05965- 230703
पौड़ी गढ़वाल: 01368- 221840
उधम सिंह नगर: 05944- 250719, 250823