उतराखंड में विधानसभा चुनावों से पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को लेकर दिल्ली तक सियासी भूचाल आया हुआ है. त्रिवेंद्र सिंह रावत को दिल्ली तलब किए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व ने राज्य के सियासी हालात पर मंथन किया. सूत्रों के मुताबिक संसद भवन में सोमवार शाम को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष ने स्थिति को लेकर चर्चा की.
हालांकि बैठक को लेकर यह साफ नहीं हुआ कि बीजेपी आलाकमान ने त्रिवेंद्र सिंह रावत पर क्या फैसला लिया है. लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्यसभा सांसद और उत्तराखंड की राजनीति में प्रभावी अनिल बलूनी से दिल्ली में मुलाकात की. इसके बाद वह जेपी नड्डा से मिलने के लिए उनके घर पहुंचे.
वहीं देहरादून में मुख्यमंत्री के आवास पर मंगलवार को बीजेपी विधायक दल की बैठक होने वाली है. हालांकि उत्तराखंड के विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने विधायक दल की बैठक का खंडन किया है. उन्होंने बताया कि ऐसी कोई बैठक नहीं होने वाली है. ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बैठक से साफ हो जाएगा कि उत्तराखंड की कमान त्रिवेंद्र सिंह के हाथ में रहेगी या किसी और को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी.
दरअसल, 2017 से त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री बने हैं तब से उनके खिलाफ पार्टी का एक धड़ा लगा हुआ है. केंद्रीय नेतृत्व के पास पिछले साल से फीडबैक था कि त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार और पार्टी संगठन के बीच समन्वय ठीक नहीं है.
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के 18 विधायकों ने पार्टी नेतृत्व को त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए पत्र लिखा था. इन 18 विधायकों में कई मंत्री भी थे. कांग्रेस से बीजेपी में आए सभी नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत से नाराज चल रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि चुनाव से पहले इन नेताओं की नाराजगी पार्टी को काफी नुकसान कर सकती है.
इनमें कई मंत्री और विधायक भी हैं. सूत्रों की मानें तो कांग्रेस से आए कई मंत्रियों और विधायकों ने रमन सिंह और दुष्यंत गौतम को साफ कर दिया है कि अगर त्रिवेंद्र सिंह रावत को नहीं हटाया गया तो वे इस्तीफ़ा दे देंगे. त्रिवेंद्र सिंह रावत के परिवार पर भी सरकार के कामकाज में दखल देने का आरोप लगता रहा है. माना जा रहा है कि इसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत को पार्टी आलाकमान ने दिल्ली तलब किया.