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बढ़ती गर्मी और बेहाल जानवर, अब वॉटर होल्स बुझाएंगे जानवरों की प्यास

उत्तराखंड के रामनगर स्थित कार्बेट नेशनल पार्क में जंगली जानवर पानी की तलाश में गांवों की ओर रुख न करें, इसके लिए वन विभाग ने एक नया तरीका निकाला है. वन महकमा जानवरों को जंगल में ही रोकने के लिए अब वहां मानव निर्मित वॉटर होल्स बना रहा है.

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जानवरों के लिए बनाए गए हैं वॉटर होल्स
जानवरों के लिए बनाए गए हैं वॉटर होल्स

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उत्तराखंड के रामनगर स्थित कार्बेट नेशनल पार्क में जंगली जानवर पानी की तलाश में गांवों की ओर रुख न करें, इसके लिए वन विभाग ने एक नया तरीका निकाला है. वन महकमा जानवरों को जंगल में ही रोकने के लिए अब वहां मानव निर्मित वॉटर होल्स बना रहा है.

इस साल अप्रैल माह में ही समूचे उत्तर भारत में गर्मी अपने चरम पर है. न केवल इंसान बल्कि जानवर भी गर्मी की तपिश से बेहाल हैं. बढ़ती गर्मी के सितम को देखते हुए उत्तराखंड वन विभाग ने कार्बेट नेशनल पार्क में जानवरों के लिए लगभग सौ से अधिक वॉटर होल्स बनाए हैं.

इसके लिए पार्क प्रशासन ने एक टीम भी बनाई है, जो लगातार इन वॉटर होल्स की निगरानी कर रही है कि इनमें किसी भी सूरत में पानी कम न होने पाए. वन अधिकारी लगातार कोशिश कर रहे हैं कि जंगली जानवर पानी की तलाश में जंगलों से बाहर न जाए.

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कार्बेट नेशनल पार्क के डिप्टी डायरेक्टर अमित वर्मा बताते हैं कि गर्मियों का मौसम आते ही जंगली जानवर अक्सर पानी की तलाश में जंगलों से बाहर चले जाते हैं. पानी की तलाश में जानवर इंसानी दायरे में जाने से भी नहीं चूकते. ऐसे में भूखे-प्यासे जानवरों द्वारा इंसानों पर हमले की घटनाएं बढ़ जाती हैं.

गौरतलब है कि कार्बेट नेशनल पार्क में इस वक्त करीब 224 बाघ, तकरीबन 850 हाथी, 80 तेंदुए, 4 हजार हिरन, जंगली सूअर समेत सैकड़ों प्रजातियों के जीव-जंतु हैं. सभी जानवर कार्बेट पार्क की लाइफ लाइन कही जाने वाली रामगंगा और सोना नदी से पानी पीते हैं.

मगर बढ़ते गर्मी के प्रकोप के कारण नदियों का पानी भी अब धीरे-धीरे सूखने लगा है. कई वर्षों बाद ये नदियां इस कदर सूखी हैं कि वह जानवरों की प्यास बुझाने में भी अब सक्षम नहीं रह गई हैं. उत्तराखण्ड में इस बार कम हुई बारिश को भी इसकी एक वजह माना जा रहा है.

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