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फायरिंग कर बोले MLA साहब, 'गोली चलाना हमारे खून में है, चला रहे हैं और चलाते रहेंगे'

हरिद्वार के खानपुर के विधायक महोदय हैं कुंवर प्रणव सिंह... ये बॉडीबिल्डिंग करते हैं खुलेआम फायरिंग करते हैं और फिर अपने इन कारनामों पर गर्व भी करते हैं. विधायक जी ने अपने बड़बोलेपन से अपनी सरकार को मुश्किलों में डाल दिया है.

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कुंवर प्रणव सिंह
कुंवर प्रणव सिंह

हरिद्वार के खानपुर के विधायक महोदय हैं कुंवर प्रणव सिंह... ये बॉडीबिल्डिंग करते हैं खुलेआम फायरिंग करते हैं और फिर अपने इन कारनामों पर गर्व भी करते हैं. विधायक जी ने अपने बड़बोलेपन से अपनी सरकार को मुश्किलों में डाल दिया है.

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एक बार फिर अपनी दबंगई का परिचय देते हुए कुंवर प्रणव ने कहा है कि वो राजघराने से हैं और गोली चलाना राजपरिवार का रिवाज है. इसे कोई रोक नहीं सकता.

'गोली चलाना खून में है हमारे'
कुंवर प्रणव इससे पहले भी अपनी दबंगई को लेकर सुर्खियों में रह चुके हैं, कभी मंच पर अपनी सिक्स पैक एब का प्रदर्शन करके तो कभी बस ड्राइवर की पिटाई करके. कुंवर प्रणव की माने तो वो गोली चलाते थे, चलाते हैं और चलाते रहेंगे. कुंवर प्रणव ने कहा, 'भाई गोलियां चलाने की जो बात है तो सुन लो. राजपरिवार से हूं और रिवाज कानून से ऊपर होता है. गोली चलाते थे, चला रहे हैं और चलाएंगे. रुकेगी नहीं जिस परिवार से हैं उसका रिवाज रहा है. खून में है हमारे.'

जब मन करता है 'धांय...' से दाग देते हैं गोली...
दरअसल, कुंवर प्रणव सिंह को बात-बात में गोलियां चलाने का शौक है. ये कभी भी कहीं भी गोलियां चला देते हैं. 2012 में कुंवर प्रणव सिंह एक रैली में हवाई फायरिंग करते नजर आए थे.
करीब डेढ़ महीने पहले ही देहरादून में वरिष्ठ मंत्री हरक सिंह रावत के घर पार्टी में नशे में खुलेमाम फायरिंग कर दी थी, जिसमें तीन लोग जख्मी हो गए थे.
इन पर रुड़की के एक होटल कारोबारी ध्रुव सिंह पर गोली चलाने का भी आरोप है.
विधायक जी, इतने दबंग हैं कि बताया जाता है कि रुड़की में साइड ना देने पर एक बार इन्होंने बस के ड्राइवर कंडक्टर की सरेआम पिटाई कर दी थी.

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शायद इनके दबंग स्वभाव की वजह से ही पार्टी के लोग भी कुछ बोलने से कतराते हैं. केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत से जब प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा, 'उन्होंने बोल ही दिया तो मैं क्या बोलूं. भारत कानून से चलता है.'

कानून पर बड़बोले बयान की वजह से ही कुंवर प्रणव सिंह को कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त वन विकास निगम के उपाध्यक्ष पद से हटा दिया गया था, लेकिन कहते हैं ना रस्सी जल गई पर बल नहीं गया. बल जाए भी तो कैसे? सूबे में अपनी सरकार है. किसी ने सही ही कहा है 'सैंया भया कोतवाल तो डर काहे का'.

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