आपने दशरथ मांझी का नाम तो सुना ही होगा, जिन्होंने 22 साल में 25 फीट ऊंचा पहाड़ काटकर गांव वालों के लिए सड़क बना दी थी. आज हम आपको उत्तराखंड के दशरथ मांझी की कहानी बताएंगे. उत्तराखंड के बनबसा के रहने वाले 58 वर्षीय केसर सिंह ने एक अद्भुत कार्य किया है.
उन्होंने 11-12 साल में पत्थरों के ढेर से नदी का रुख मोड़कर कई गांवों को बाढ़ के खतरे से बचाया है. उनके इस काम की हर तरफ तारीफ हो रही है.
जानकारी के अनुसार, केसर सिंह पेशे से किसान हैं. वह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के गृहनगर खटीमा के बनबसा के रहने वाले हैं. केसर सिंह ने इस इलाके में बहने वाली जगबुडा नदी पर पत्थरों को इकट्ठा कर दिया. उन्होंने बिना किसी की मदद के यह कार्य किया.
दरअसल, हर साल बारिश में यह नदी रौद्र रूप धारण कर लेती है. जिसके कारण बाढ़ आ जाती है और कई घर तबाह हो जाते हैं. हर साल एक दर्जन से ज्यादा गांवों के साथ-साथ आसपास के कई जिले भी बाढ़ से प्रभावित होते हैं.
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गांव में रीत है कि हर कोई मंदिर में अपने घर से छोटा सा पत्थर लेकर मंदिर में चढ़ाता है. इसी तरह केसर सिंह को जवानी में अपने बचपन की बात याद आई और उन्होंने सोचा कि अगर इस तरह पत्थरों को इकट्ठा करके बड़ा अंबार लगाया जाए तो इससे नदी के रुख को मोड़ा जा सकता है. इसके बाद केसर सिंह रोज दो किलोमीटर दूर जाकर नदी किनारे से पत्थर इकठ्ठा करने लगे. धीरे-धीरे पत्थरों का ढेर लगा दिया, जिससे नदी का रुख मोड़ दिया.
इस काम में केसर सिंह अपने पैर की एक उंगली भी गंवा चुके हैं. केसर को रोज इस तरह का कार्य करते देख उनकी पत्नी समेत गांव का हर व्यक्ति पागल कहने लगा था. गांव के लोगों ने उनकी मदद से मना कर दिया था. केसर सिंह के पास मात्र तीन-चार बीघा जमीन है. उनका एक बेटा है, जो होटल मैनेजमैंट की पढ़ाई कर रहा है.
सीएम पुष्कर सिंह धामी को कुछ दिनों में चुनाव जीते एक साल हो जाएगा. पिछले साल 2 जून को उन्होंने देश में सबसे ज्यादा मतों से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड भी बनाया था. इसके बाद वह सबसे पहले यहां न्याय के देवता माने जाने वाले गोलुज मंदिर पहुंचे थे. इसके बाद सवाल उठ रहा है कि क्या पुष्कर सिंह धामी बाकी बचे काम में केसर सिंह को मदद दिलाएंगे.
लोग बोले- केसर ऐसा नहीं करते तो कई गांव बाढ़ में बह जाते
इस मामले को लेकर गांव के प्रधान ने कहा कि केसर सिंह दशरथ मांझी नहीं, हमारे हीरो हैं. वहीं शिक्षक भुवन जोशी ने केसर सिंह को अगली पीढ़ी का प्रेरणास्रोत बताया. सेना से सेवानिवृत्त 90 साल के श्याम सिंह कहते हैं कि अगर केसर यह नहीं करते तो कई गांव बाढ़ में बह जाते.
कहां से आई प्रेरणा
केसर सिंह ने बताया कि 1857 की क्रांति में अंग्रजों ने उनके परदादा बिशन सिंह को फांसी पर चढ़ा दिया था. शायद उनका ही खून मुझे क्रांति के लिए उकसा रहा है. उन्होंने दावा किया कि रोज दो किलोमीटर आने- जाने में करीब दो लाख से ज्यादा का पेट्रोल लग चुका है.
(रिपोर्टः राजेश छाबड़ा)