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उत्तराखंड में गुलदार और बाघों की संख्या बढ़ी, शिकार बन रहे मासूम बच्चे

उत्तराखंड में गुलदारों की संख्या अब 2,500 से ज्यादा हो गई है, वहीं बाघों की संख्या में भी इजाफा हुआ है. बाघों की संख्या बढ़कर 442 हो गई है. इन आकंड़ों के बाद वन विभाग राहत की सांस ले रहा है. 2008 के बाद ताजे आंकड़े राहत देने वाले हैं.

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उत्तराखंड में बाघों की संख्या बढ़कर हुई 442 (फाइल फोटो-ANI)
उत्तराखंड में बाघों की संख्या बढ़कर हुई 442 (फाइल फोटो-ANI)

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  • उत्तराखंड में बढ़ता जा रहा है गुलदारों का आतंक
  • गुलदारों की संख्या बढ़कर 2500 से ज्यादा
  • प्रदेश में बाघ की संख्या बढ़कर हुई 442
उत्तराखंड में गुलदारों का आतंक बढ़ता जा रहा है. आए दिन लोग गुलदार के हमलों के शिकार बन रहे हैं. वन्यजीवों के हमलों को देखें तो गुलदारों ने पहाड़ से लेकर मैदान तक नींद उड़ाई हुई है. हाल के दिनों में कई बार इनके हमलों की घटनाएं सुर्खियां बनीं. स्थिति ये हो चली है कि गुलदार घरों के भीतर तक धमकने लगे हैं.

गुलदार का अतिक्रमण गांवों में पालतू जानवारो की तरह हो गया है. सिमटते जंगली जमीन के बीच गुलदार की पहुंच गांव तक हो गई है. गुलदार के हमलों का शिकार सबसे ज्यादा मासूम बच्चे बन रहे हैं. इन सबसे इतर वन विभाग के लिए राहत भरी खबर यह है कि गुलदारों की संख्या में इजाफा भी हुआ है. उत्तराखंड वन विभाग जंगली जानवरों की गणना के लिए एक रणनीति भी तैयार कर रहा है.

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कितनी है गुलदार और बाघों की संख्या?

उत्तराखंड में गुलदारों की संख्या अब 2,500 से ज्यादा हो गई है, वहीं बाघों की संख्या में भी इजाफा हुआ है. बाघों की संख्या बढ़कर 442 हो गई है. इन आकंड़ों के बाद वन विभाग राहत की सांस ले रहा है. 2008 के बाद ताजे आंकड़े राहत देने वाले हैं.

इसलिए नहीं थम रहे गुलदारों के हमले

वन विभाग के पीसीसीएफ जयराज सिंह के मुताबिक वन क्षेत्र में गुलदार की वास्तविक संख्या और घनत्व वाले क्षेत्रों का पता न चलने की वजह से गुलदारों को वन क्षेत्र तक सीमित करने की दिशा में सार्थक पहल नहीं हो पा रही है. गुलदार इंसानी आबादी वाले क्षेत्रों में दस्तक दे रहे हैं. पहले अविभाजित उत्तर प्रदेश के दौर में हर साल राज्य स्तर पर वन्यजीव गणना होती थी. उत्तराखंड बनने के बाद साल 2003, 2005 और 2008 में ही वन्य जीव गणना हुई है. हालांकि बाघ और हाथियों की गणना राष्ट्रीय स्तर पर 2015 तक होती आई है.

हर साल जानवरों की होगी गिनती

उत्तराखंड के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भरतरी का कहना है कि राज्य स्तर पर वन्यजीव गणना में निरंतरता बनाए रखने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. वहीं अब प्रदेशभर में वन्यजीवों की गणना की जाएगी. इसमें गुलदार समेत दूसरे वन्यजीवों की सही संख्या सामने आएगी. वन महकमे में अब ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही कि गणना का कार्य हर साल हो.

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राज्य में गुलदार की गणना

उत्तराखंड में साल 2003 में गुलदारों की संख्या 2,092 रही. 2005 में ये आंकड़े बढ़कर 2,105 हो गए. 2008 की जनगणना में गुलदारों की संख्या में ज्यादा इजाफा हुआ और आकंड़े बढ़कर 2,335 हो गए. 2019 के ताजा आंकड़ों के मुताबिक गुलदारों की संख्या 2,500 से ज्यादा गुलदार वन क्षेत्र में हैं.

प्रदेश में बाघों की संख्या

उत्तराखंड में साल 2010 में महज 227 बाघ थे. संरक्षित होने के बाद भी इनकी संख्या घटती जा रही थी लेकिन 2014 का आंकड़ा वन विभाग के लिए अच्छा रहा. 2014 में 340 बाघ थे, वहीं 2019 में बाघों की संख्या में इजाफा हुआ और उनकी संख्या 442 तक बढ़ गई. बाघों की संख्या ठीक ढंग से आगे बढ़ रही है.

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