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आदमखोर बाघिन के खौफ से देवभूमि में मचा हड़कंप, मारने के लिए लाखों खर्च

उत्तराखंड के रामनगर में इन दिनों आदमखोर बाघिन का आतंक फैला हुआ है. वन विभाग ने आदमखोर बाघिन को मारने के लिए अब तक का सबसे बड़ा अभियान चलाया है.

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आदमखोर बाघिन के आतंक से दहशत में ग्रामीण
आदमखोर बाघिन के आतंक से दहशत में ग्रामीण

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उत्तराखंड के रामनगर में इन दिनों आदमखोर बाघिन का आतंक फैला हुआ है. वन विभाग ने आदमखोर बाघिन को मारने के लिए अब तक का सबसे बड़ा अभियान चलाया है. फिलहाल आदमखोर बाघिन अभी तक वन विभाग की नजरों से बची हुई है.

रामनगर के आमपोखरा रेंज में आदमखोर बाघिन ने पिछले 38 दिनों से आतंक मचाया हुआ है. बाघिन को मारने के लिए विभाग अभी तक 50 लाख रुपये से अधिक खर्च कर चुका हैं. अभियान में हेलीकॉप्टर के साथ एक ड्रोन, तीन हाथी, सात पिंजरे और सौ से ज्यादा कैमरों के साथ 150 से अधिक वनकर्मी दिन-रात जुटे हुए हैं.

आदमखोर बाघिन अभी तक दो लोगों को अपना निवाला बना चुकी हैं. साथ ही बाघिन के हमले में तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं, जिससे आसपास के गांवों में दहशत का माहौल है. आतंक का पर्याय बन चुकी आदमखोर बाघिन बुधवार को भी शिकारियों और वनकर्मियों को चकमा देकर सुरक्षित बच निकली थी.

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बाघिन को मारने के लिए गोरखपुर गांव में बछड़े को बांधा गया था. बाघिन के शिकार के लिए कुछ ही दूरी पर वन विभाग के कर्मचारी भी असलहों के साथ तैनात थे. बाघिन तड़के सुबह करीब 4:30 बजे बछड़े के पास आई और उसे घायल कर दिया, लेकिन शिकारी एक बार फिर बाघिन को मारने से चूक गए.

पश्चिमी वृत के सीएफ डा. पराग मधुकर धकाते ने इस बारे में कहा, 'हो सकता है कि दांत टूटने और नाखून उतरने की वजह से बाघिन आदमखोर हो गई हो.' डा. पराग मधुकर धकाते ने आगे कहा कि फिलहाल आदमखोर बाघिन की तलाश जारी है और जल्द ही उसे मार गिराया जाएगा.

वहीं ग्रामीणों ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़े किए हैं. ग्रामीणों की माने तो लाखों के बजट और लंबी-चौड़ी फौज होने के बावजूद वन विभाग एक बाघिन को नहीं मार पा रहा है. बता दें कि बाघिन के खौफ से ग्रामीणों का हर दिन दहशत में बीत रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि अगर आदमखोर बाघिन को जल्द नहीं मारा गया तो व्यापक आंदोलन किया जाएगा.

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