Uttarakhand Forest Fire News: उत्तराखंड के जंगलों में आग का तांडव जारी है. बागेश्वर, टिहरी गढ़वाल, गढ़वाल और कुमाऊं इलाकों में जंगल में लगी आग अभी धधक रही है. सैकड़ों हेक्टेयर इलाके में पेड़-पौधे जलकर खाक हो गए हैं, जिससे वन्य जीवों के परिस्थिति तंत्र को भी खासा नुकसान हुआ है. कई जगह जंगली जानवारी शहरों की ओर भागते हुए दिखे. कई जगह जंगल की आग रिहायशी इलाकों तक पहुंच चुकी है. आग लगने से इन इलाकों में चारों ओर बहुत ज्यादा प्रदूषण बढ़ गया है.
बागेश्वर में आग का कैसा तांडव?
बागेश्वर के एक दर्जन से ज्यादा जंगलों में आग धधक रही है. 187 से ज्यादा हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो गए हैं. बागेश्वर के 6 रेंज के जंगलों में अलग-अलग जगह आग लगने से चारों ओर काफी ज्यादा प्रदूषण बढ़ गया है. सबसे ज्यादा नुकसान गणखेत रेंज में हुआ है, जहां जंगल की आग रिहायसी क्षेत्रों तक पहुंच जाने से घांघली में 15 नाली गेंहू के खेत खाक हो गए और सीमार क्षेत्र में 12 गौशाला जलकर खाक हो गईं. गर्मी बढ़ने के साथ ही जनपद में जंगल में आग की घटनाएं भी बढ़ गई हैं.
टिहरी जिले में भी जल रहे जंगल
टिहरी जिले के दर्जनों जंगल भीषण आग की चपेट में हैं. वन विभाग आग पर काबू पाने में नाकामयाब सा नजर आ रहा है. अब तक भीषण आग से लाखों की वन संपदा जलकर खाक हो चुकी है. घनसाली भिलंगना रेंज और बालगंगा रेंज के दर्जनों जंगल अभी भी भीषण आग की चपेट में हैं. टिहरी डीएफओ वीके सिंह ने बताया है कि टिहरी जिले में अबतक 125 जंगल आग की चपेट में आए है. जिससे 110 हेक्टयर जंगल जलकर खाक हुए है.
टिहरी जिले में फायर सीजन शुरू होते ही वन विभाग के हाथ पांव फूलना शुरू हो जाता है. दरअसल, टिहरी जिले में अत्यधिक मात्रा में चीड़ के पेड़ होने से आग की सबसे अधिक घटना होती हैं. चीड़ के पेड़ से गिरने वाला पिरूल और लीसा सबसे अधिक ज्वलनशील होता है, जिस कारण टिहरी जिले में अत्यधिक आग की घटनाएं होती हैं. जिले के घनसाली और बालगंगा में इस फायर सीजन की सबसे अधिक आग की घटनाएं सामने आई हैं.
गढ़वाल-कुमाऊं के जंगलों में भी आग
गढ़वाल और कुमाऊं दोनों मंडलों के जंगलों में भी भीषण आग लगी हुई है. बीते 24 घंटे में आग लगने के 124 मामले सामने आए हैं. जिससे पिछले 24 घंटे में जंगलों की आग से 253 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है. 15 फरवरी से अब तक 1216 वनाग्नि की घटनाएं हो दर्ज चुकी हैं. इनमें 523 गढ़वाल मंडल में तो 625 कुमाऊं मंडल में, 68 घटनाएं संरक्षित वन्य जीव क्षेत्र में दर्ज हुई हैं. वनाग्नि से अब तक इस फायर सीजन में 50 लाख रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है.
वन विभाग और प्रशासन लगातार आग बुझाने को लेकर अपनी तैयारियों में लगा है. मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि वन विभाग आग लगने की जानकारी के बाद भी नहीं पहुंच रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि विभाग की ओर से आग पर काबू करने के लिए स्टाफ तो दिया है. मगर कोई ठोस उपकरण वनकर्मियों को आग पर काबू पाने के लिए नहीं दिए हैं. वन कर्मी जगह-जगह पेड़ की टहनियों से आग बुझाते नजर आ रहे हैं.