उत्तारखंड सरकार बाघों के संरक्षण के लिए सेव टाइगर प्रोजेक्ट चला रही है. इसको लेकर वन विभाग बड़े-बड़े दावे करता है. वहीं, बाघों की मौत को लेकर आई रिपोर्ट के बाद वनमंत्री सुबोध उनियाल ने कहा है कि कुछ पोचिंग यानी शिकार के मामले प्रकाश में आए हैं.
इनकी गंभीरता से जांच की जा रही है. दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है. ड्रोन से निगरानी जारी है. सरकार बाघों के संरक्षण पर प्रतिवर्ष मोटी रकम खर्च कर रही है. इसके बाद भी एक के बाद एक लगातार बाघों की मौत के मामले सामने आ रहे हैं.
इससे पहले वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक समीर सिन्हा ने बताया कि जनवरी 2023 से लेकर अब तक 12 बाघों की मौत हुई है. इसे लेकर उन्होंने एक कमेटी भी बनाई है. बाघों की मौत किसी शिकारी के शिकंजे में आने से हुई, इसकी जांच की जा रही है. उत्तराखंड में बीते पांच माह में 12 बाघों की मौत को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
2018 में बाघों की संख्या 442 पाई गई थी
इसके अलावा समीर सिन्हा ने बताया कि 2018 में एक सर्वेक्षण हुआ था. इसमें उत्तराखंड में 442 बाघ पाए गए थे, जो अपने आप में एक उपलब्धि है. दूसरी तरफ अभी हाल ही में शिवालिक रेंज में डेढ़ सौ से ज्यादा बाघों की संख्या पाई गई है. हालांकि, इसमें अभी और अध्ययन किया जा रहा है.
दोषियों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा
2001 से 2023 तक राज्य में कुल 181 बाघों की मौत हो चुकी है. इनमें शिकार, दुर्घटनाएं, जंगल की आग, आपसी संघर्ष, जाल में फंस कर मौत के मामले शामिल हैं. उत्तराखंड में पांच महीने में 13 बाघ-बाघिनों की मौत के मामले पर प्रदेश के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस मामले का निश्चित रूप से आकलन किया जाएगा. अगर कोई दोषी पाया जाता है, तो इसमें कार्रवाई जरूर होगी.