देवभूमि कहे जाने वाले राज्य उत्तराखंड में फिर प्रकृति ने तांडव मचाया है. साढ़े 7 साल पहले आई त्रासदी से भयानक मंजर आज देखने को मिला. संडे की सुबह-सुबह नरम धूप के बीच चमोली जिले में कुदरत ने जो तांडव रचा, वो पुराने जख्म को कुरेद कर चला गया. अभी लोग कोरोना से थोड़ा उबरे ही थे कि जोशीमठ के तपोवन इलाके में ग्लेशियर टूटने से तबाही मच गई. इस तबाही की गूंज को आम लोगों ने भी सुनी, जो कोरोना के बाद सामान्य जिंदगी शुरू करने की राह पर थे, लेकिन अब वे फिर सहम गए हैं.
संडे की सुबह करीब 9.30 बजे के आसपास चमोली जिले में कुदरत का कहर टूटा. जोशीमठ के तपोवन इलाके में ग्लेशियर फूटा और पहाड़ की जिंदगी पर अचानक ब्रेक लग गया. धौलीगंगा नदी में भीषण बाढ़ के हालात बन गए. ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट बर्बाद हो गया. तपोवन, श्रीनगर और ऋषिकेश डैम भी क्षतिग्रस्त हो गए. सरहद से सेना को जोड़ने वाला मलारी पुल भी देखते-देखते बह गया. इस आपदा में 10 लोगों की जान चली, जबकि करीब 150 लोग लापता बताए जा रहे हैं. भारी तबाही और जान माल के नुकसान से बचाने के लिए अलर्ट जारी किया गया है. फिलहाल राहत बचाव कार्य जारी है.
टनल में फंसे लोगों को निकालने का काम जारी
ऋषि गंगा प्रोजेक्ट को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. अभी तक NTPC प्रोजेक्ट से 10 शव बरामद किए गए हैं. टनल में 15-20 लोग फंसे थे, जिन्हें निकाल लिया गया है. प्रोजेक्ट पर करीब 120 लोग काम कर रहे थे. वहीं, जोशीमठ की एसडीएम ने बताया कि ये प्रोजेक्ट पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है. श्रीनगर, ऋषिकेश और हरिद्वार में अलर्ट है.
वहीं, एहतियातन भागीरथी नदी का फ्लो रोक दिया गया है. अलकनंदा का पानी का बहाव रोका जा सके, इसलिए श्रीनगर डैम और ऋषिकेश डैम को खाली करा दिया गया है. बताया जा रहा है कि नंदप्रयाग से आगे अलकनंदा नदी का बहाव सामान्य हो गया है. नदी का जलस्तर सामान्य से अब 1 मीटर ऊपर है, लेकिन बहाव कम होता जा रहा है.
हेल्पलाइन नंबर जारी, MHA कर रहा मॉनिटर
उत्तराखंड सरकार ने जिला प्रशासन, पुलिस विभाग और आपदा प्रबंधन विभाग को आपदा से निपटने के आदेश दिए हैं. एसडीआरएफ और लोकल प्रशासन राहत और बचाव कार्य में जुटा हुआ है. संपर्क के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी कर दिया गया है 1070 या 9557444486. इधर, गृह मंत्रालय स्थिति को मॉनिटर कर रहा है. NDRF की 3 टीमें वहां पहुंच गई हैं, बाकी टीमें दिल्ली से रवाना होने के लिए तैयार हैं. एयरफोर्स को भी अलर्ट पर रखा गया है.
जून 2013 का मंजर और अब...
जून 2013 में केदारनाथ धाम में आए जल प्रलय के जख्म आज तक नहीं भरे हैं. 2013 की भीषण आपदा ने केदार घाटी और चमोली की खीरोंघाटी में भारी तबाही मचाई थी. इस आपदा ने खीरों घाटियों में सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया था. इसमें हजारों लोगों जान चली गई थी. कहा जा रहा है कि चमोली में आई आपदा कई इलाकों में साल 2013 से भी बड़ी है. सेन्ट्रल वाटर कमीशन की सूचना के अनुसार ऋषि मठ का ये हिस्टोरिकल फ्लड रहेगा.