उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव पर चमोली जिला प्रशासन ने तीन प्रस्ताव बनाए हैं. इन्हें आपदा प्रबंधन के सहमति के बाद उत्तराखंड सरकार को भेज दिया गया है. पहला प्रस्ताव वन टाइम सेटलमेंट का है. इसके तहत प्रभावितों को जमीन और मकान का एक साथ मुआवजा दिया जाएगा. इसके बाद वे कहीं भी जमीन खरीदकर मकान बना सकते हैं.
दूसरा प्रस्ताव पीड़ितों को 100 वर्ग मीटर जमीन देने का है, जिस पर लोग अपना मकान बना सकते हैं. इसमें प्रभावित को अपने मकान का पूरा मुआवजा दे दिया जाएगा. ताकि वह अपना मकान सरकार द्वारा दी गई जमीन पर बना सके.
वहीं, तीसरा विकल्प यह है कि सरकार 75 वर्ग मीटर के जमीन पर डुप्लेक्स घर बनाकर प्रभावितों को सौंप दे. अब इन तीनों प्रस्तावों को जिला प्रशासन की टीम ने सरकार के पास भेज दिया है. मगर, लोग दो प्रस्तावों को लेकर संशय में हैं. उनका कहना है कि दो प्रस्ताव स्पष्ट नहीं हैं.
कैबिनेट को पास करने हैं प्रस्ताव
इन तीनों पर अभी तक प्रशासन की सहमति बन चुकी है. प्रस्ताव उत्तराखंड सरकार के पास हैं और वह कभी भी इन तीनों को या किसी एक को कैबिनेट में पास कर सकती है. पिछले एक महीने से प्रभावित लोग राहत कैंपों में रह रहे हैं. ऐसे में प्रशासन द्वारा दिए गए तीन सुझावों पर प्रभावित लोगों का क्या कहना है यह बताते हैं.
अभी पूरी बातें स्पष्ट नहीं हुई हैं- पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष माधवी सटी
पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष माधवी सटी का कहना है कि सरकार के तीन ऑप्शन में अभी तक यह नहीं बताया गया कि मकान कहां पर बनाकर दिया जाएगा. जिनका परिवार बड़ा है, वे 75 वर्ग मीटर पर बने मकान में कैसे रहेंगे? अभी सरकार की तरफ से पूरी बातें स्पष्ट नहीं हो पाई है. पूरी बातें जब स्पष्ट होंगी, तब ही लोग कुछ कह पाएंगे.
प्रशासन के प्रस्तावों को लेकर दुविधा में हैं पीड़ित परिवार
वहीं, पीड़ित रोहित परमार का कहना है कि भूमि दरों का निर्धारण नहीं होने की वजह से कोई निर्णय नहीं ले पा रहे हैं. होटल माउंट व्यू के पीछे रहने वाले दिगंबर का कहना है कि तीन विकल्प दिए जाने की बात चल रही है. सरकार को पहले यह बताना चाहिए कि कौन सी जमीन 60 प्रतिशत और 40 प्रतिशत सुरक्षित है. भले ही सरकार ने तीन विकल्प सोचे हो, लेकिन अभी भी हम दुविधा में हैं.
बहरहाल, चमोली जिला प्रशासन द्वारा सरकार को दिए गए विकल्प में भले ही आपदा प्रबंधन ने हामी दे दी है. मगर, ज्यादातर प्रभावित लोगों का कहना है कि वह जोशीमठ को छोड़कर कहीं अन्य जाने को तैयार नहीं हैं. लोग चाहते हैं कि उन्हें जोशीमठ के आस-पास ही कहीं जमीन दी जाए. यहां के लोगों की पास ही कुछ जगहों पर पुश्तैनी जमीन भी हैं और ये लोग वहां खेती करते हैं.