scorecardresearch
 

हरीश रावत ने साल के आखिर में लिखी दिल की बात, क्या लेंगे संन्यास?

राजनीति की कड़वी हकीकत को बयां करते हुए हरीश रावत ने कहा है कि उम्र के साथ आपका दायरा व आपसे अपेक्षाएं, दोनों बढ़ती जाती हैं. चुनावी राजनीति में आपकी वरिष्ठता आपसे अपेक्षाएं बढ़ाती जाती हैं. मतदाताओं से लेकर पार्टी के सहयोगी और रिश्तेदार सबकी अपेक्षाएं बढ़ जाती हैं. उन्हें लगता है आपकी वरिष्ठता को देखते हुए आपकी अनसुनी हो ही नहीं सकती है.

Advertisement
X
उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत (फोटो-फेसबुक)
उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत (फोटो-फेसबुक)

Advertisement
  • हरीश रावत ने फेसबुक पोस्ट में लिखी दिल की बात
  • नये साल में किया राजनीति को गुडबाय का इशारा
  • नैनीताल से लोकसभा चुनाव लड़ने को मानी गलती

उत्तराखंड के पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने साल 2019 के आखिरी दिनों में बड़ा इशारा किया है. एक फेसबुक फोस्ट में उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने के संकेत दिए हैं. हरीश रावत ने लिखा है, "हां समय आ गया है, सक्रिय राजनीति में बने रहना, कोई सामान्य निर्णय नहीं होता है. यदि आप सत्तर वर्ष की लक्ष्मण रेखा को पार कर चुके हैं तो, इस रेखा से आगे बढ़कर सक्रिय राजनीति में रहना सामान्य निर्णय नहीं है."

रावत पर उम्मीदों का बोझ

राजनीति की कड़वी हकीकत को बयां करते हुए हरीश रावत ने कहा है कि उम्र के साथ आपका दायरा व आपसे अपेक्षाएं, दोनों बढ़ती जाती हैं. चुनावी राजनीति में आपकी वरिष्ठता आपसे अपेक्षाएं बढ़ाती जाती हैं. मतदाताओं से लेकर पार्टी के सहयोगी और रिश्तेदार सबकी अपेक्षाएं बढ़ जाती हैं. उन्हें लगता है आपकी वरिष्ठता को देखते हुए आपकी अनसुनी हो ही नहीं सकती है.

Advertisement

हरीश रावत लिखते हैं, "आपका तो कहना भर काफी है, यह एक आम जुमला है, जो आपको सुनना ही है. सर हिलाने के अलावा आपके पास कुछ कहने को नहीं होता है. आपको आलोचकों के प्रति अधिक संवेदनशील होना पड़ता है. उम्र, आपसे अधिक सहनशीलता और एकोमोडेटिव होने की अपेक्षा करती है. जबकि धरातलीय वस्तुस्थिति इसके विपरीत होती है."

लगातार दो हार से हताश

बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में पूर्व सीएम हरीश रावत को हार का सामना करना पड़ा था. रावत हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन वे दोनों ही सीटों से हार गए. इसके बाद लोकसभा चुनाव में उन्होंने नैनीताल सीट से ताल ठोकी, लेकिन यहां से भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा.

नैनीताल की गलती स्वीकारी

हरीश रावत ने नैनीताल सीट से हार पर भी अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है और कहा है कि यहां पर उन्हें खुद के बदले उनके बेटे को आगे बढ़ाना चाहिए था. रावत ने लिखा है, "लोकसभा के चुनाव हम चूक गए, मुझे स्वयं अपने स्थान में अपने पुत्र को प्रस्तावित करना चाहिए था. पौड़ी में पार्टी साहस कर पाई, चुनाव भले ही हार गए, मगर अगले 20 वर्षों की सम्भावना खड़ी हो गई है. राष्ट्रीय स्तर पर भी हमें लगातार युवा नेतृत्व पर भरोसा बनाए रखना चाहिए."

Advertisement

हरीश रावत ने कहा कि जब आज वे राजनीति में रहने या न रहने के प्रश्न पर गम्भीर चिन्तन कर रहे हैं, तो उनकी यही जिद, आज उत्तराखण्ड के साथ है या थी. उन्होंने लिखा है कि वे उत्तराखण्ड को अपने आपको हरीश रावत के रूप में याद किए जाने को मजबूर करेंगे.

Advertisement
Advertisement