उत्तराखंड में चीन सीमा तक पहुंच वाली सड़कों को चौड़ा करने की परियोजना पर आपत्ति जताने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि चीन के साथ आए दिन बढ़ रहे तनाव को देखते हुए ये बहुत महत्वाकांक्षी परियोजना है और सुरक्षा के नजरिए से काफी महत्वपूर्ण भी है. ये चीन सीमा से जुड़े इलाकों के मद्देनजर देहरादून से सभी सीमावर्ती इलाकों तक सेना और अन्य वाहनों की पहुंच आसान बनाने की गरज से राजमार्ग और अन्य पहुंच मार्ग चौड़े करने की योजना है. इस पर आपत्ति जताने वाली याचिका में कहा गया है कि सड़क चौड़ी करने के लिए पेड़ काटे जा रहे हैं. जबकि पहाड़ों के उन वन्य जीव बहुल इलाकों में ऐसा करना घोर अपराध है. केंद्र सरकार के जवाब पर सुप्रीम कोर्ट अब दिवाली के बाद सुनवाई करेगा.
'पेड़ काटे जाने से होगा बड़ा नुकसान'
जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ मामले की सुनवाई कर रही है. सिटीजन फॉर ग्रीन दून नामक एनजीओ ने ये याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि सालों भर चार धाम यात्रा के नाम पर नौ सौ किलोमीटर लंबे ऑल वेदर रोड, हिमालय के पर्यावरण के लिए कतई नुकसानदेह होगें. पहले से ही नाजुक एकोलोजी सिस्टम बिगड़ जाएगा. क्योंकि बड़ी तादाद में पेड़ काटे जाने से जबरदस्त नुकसान होगा. भूस्खलन और वन्य जीवन को नुकसान होगा सो अलग.
'सुरक्षा करणों से चौड़ी की जा रही सड़क'
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि इस प्रोजेक्ट का असली मकसद चार धाम यात्रा से ज्यादा जरूरी देश की सरहदों की सुरक्षा है. सड़क चौड़ी करने को लेकर रक्षा मंत्रालय की दिलचस्पी की वजह सुरक्षा कारण हैं. क्योंकि चीन की वजह से देश की सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत करना जरूरी है. चौड़ी सड़कें उसका आधार हैं. याचिकाकर्ता की ओर से वकील रित्विक दत्ता ने कहा हमारी चिंता लाखों की तादाद में हरे भरे पेड़ों की कटाई और उससे पर्यावरण पर पड़ने वाले नुकसान को लेकर है.
हालांकि, पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के पास जाने को कह रखा है. लेकिन याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट को इस बाबत भी बताया कि एनजीटी ने कहा है कि जब राज्य सरकार या उसका कोई प्राधिकरण पेड़ों की कटाई को मंजूरी दे तभी उसके दरवाजे खटखटाएं. लेकिन ऑर्डर तो जब आएगा तब आएगा रोजाना पेड़ काट काट कर घाटियों में लुढ़काए जा रहे हैं. लिहाजा कोर्ट को सख्ती बरतनी चाहिए.