इंडिया टुडे/आज तक के कार्यक्रम 'INDIA TODAY STATE OF THE STATE: UTTARAKHAND FIRST' में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बातचीत की. उन्होंने बीजेपी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं और 2024 में फिर से केंद्र में मोदी सरकार बनने का दावा किया. इसके साथ ही 2024 का चुनाव लड़ने पर भी अपना बयान दिया. उन्होंने कहा, हम पार्टी के कार्यकर्ता हैं, अब तक जो निर्देश दिया, उसका पालन किया है. पार्टी ने कहा कि चुनाव लड़ना है. हालांकि हमारी इच्छा नहीं थी. लेकिन पार्टी ने निर्णय लिया तो चुनाव लड़े. मैंने कभी चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त नहीं की. सिर्फ एक बार ऐसा मौका आया, जब चुनाव लड़ने के लिए बोल दिया था.
त्रिवेंद्र रावत ने उत्तराखंड से बीजेपी के क्लीन स्वीप का भी दावा किया. रावत ने कहा, उत्तराखंड से पांच पांडव होंगे. जहां पांडव होंगे, वहां विजय होगी. दो बार जीती हैं. फिर तीसरी बार चुनाव जीतेंगे. उससे ज्यादा वोट मिलेंगे. उन्होंने कहा, बीजेपी दिल्ली के लिए ही राजनीति कर रही है. दिल्ली में फिर तीसरी बार सरकार बने, उसके लिए बूथ से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहे हैं. विश्व में भारत महाशक्ति बनकर उभर रहा है. अंतरिक्ष तक भारत सहजता से पहुंच रहा है. मैं पार्टी के कार्यकर्ता के नाते दिल्ली में 303 सीटों से आगे की यात्रा के लिए काम करूंगा.
'फोन आया तुरंत दिल्ली पहुंचो और...'
रावत ने अपने मुख्यमंत्री बनने का किस्सा भी सुनाया. उन्होंने कहा कि जब मुझे मुख्यमंत्री बनाया गया, तब मैं बड़े आराम से घर में बैठा था. मुझे फोन आया. किसी कार्यकर्ता के हाथ में फोन था. उसने नाम देख लिया किसका फोन है. वो उछल गए एकदम से. आपको दिल्ली बुला रहे हैं. मुझसे बात हुई तो कहा गया कि शाम 5 बजे तक तुरंत दिल्ली पहुंचो. शायद उस समय सुबह 10-11 बज रहे होंगे. खाना खाने की तैयारी कर रहे थे. खाना बन रहा था. कार्यकर्ताओं से घिरा हुआ था. दिल्ली में जाकर कहा गया कि आपके नाम के बारे में विचार किया गया है. मैंने कहा कि जो पार्टी का निर्णय है, वो मैं स्वीकार करता हूं. हमने कभी कोई लॉम्बिंग नहीं की. कभी किसी से नहीं बोला कि हमारी यह इच्छा है. ये बात खुले मंच से कह रहा हूं. अमित शाह जी के साथ इतने समय तक काम किया. उन्हें कभी नहीं किया कि मेरे लिए विचार कर लेना. पार्टी ने जो जिम्मेदारी दी, उसे पूरा किया.
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'इस्तीफा देने में नहीं लगाया था एक सेकेंड'
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद से हटाने का भी किस्सा सुनाया. उन्होंने कहा कि उस समय भी पार्टी की तरफ से फोन आया था. हम दिल्ली गए और कहा कि आप लोगों ने निर्णय लिया है तो ठीक है. लाओ कागज और इस्तीफा लिख दिया. दावे के साथ यह बात कह रहा हूं कि एक सेकेंड भी मैंने ना-नुकुर नहीं की. लेकिन, यह जरूर कहा कि यह बता दीजिए कि ऐसा क्यों करना पड़ रहा है. हालांकि, यह बातें सावर्जनिक तौर पर नहीं कही जाती हैं. ये गोपनीय ही बनी रहना चाहिए. कभी अगर किताब लिखूंगा तो वो सब बातें लिखूंगा. कभी-कभी ये सोचता हूं कि मैं एक कार्यकर्ता अच्छा हो सकता हूं, हो सकता है कि अच्छा राजनेता ना रहा हूं.
बता दें कि रावत ने 18 मार्च 2017 को उत्तराखंड के नौवें सीएम के तौर पर शपथ ली थी और 9 मार्च 2021 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
'झारखंड में काम करने के सुनाए अनुभव'
2014 में यूपी का सहप्रभारी रहने के बाद मैं झारखंड का प्रभारी बनाया गया. वहां बीजेपी की सरकार बनाई. वहां के मुख्यमंत्री (हेमंत सोरेन) को घर में हराया. वो काफी गुस्सा हुए. हमारे ऑफिस आकर जो नहीं करना चाहिए था, वो सब किया. हम वहां पर आठ सीटें जीते. एक सीट पर कम वोटों से हारे. एक ओवर कॉन्फिडेंस में हार गए. पूरे झारखंड में लोगों को लगता था कि कैसे सरकार बनेगी. नक्सलियों का भय और आतंक था. प्रत्याशी की कार को कुचल दिया गया. पीएम मोदी की सभा में ऑटो से लोगों को बुलाया और भीड़ एकत्रित की. एक ऑटो में तीस-तीस लोग सवार होकर आते थे.
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'धामी बढ़िया काम कर रहे हैं'
रावत ने कहा कि उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी अच्छा काम कर रहे हैं. अभी साढ़े तीन साल का कार्यकाल बाकी है. कम समय में उन्होंने प्रशासनिक कार्यों में अच्छी पकड़ बना ली. मैं खुद सीएम रहा. किस तरह से प्रशासनिक अधिकारियों से काम करवाने और एक-दूसरे को समझने में समय लगता है. बाद में तो सारे काम होने लगता है. अधिकारी आपको भांप लेता है और प्रक्रिया आगे बढ़ा देता है.
'परिवार में भी झगड़े होते हैं'
सरकार से लेकर संगठन में समायोजन रहने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जब उद्देश्य स्पष्ट होता है और हम उस उद्देश्य के लिए काम करते हैं तो छोटी-मोटी बातें हो जाती हैं. ये एक परिवार में भी होता है. मियां-बीवी का तो ज्यादा ही झगड़ा होता होगा. बच्चे और बाप, बेटी का भी होता है. लेकिन परिवार के लिए एक होते हैं. यह बात पार्टी के लिए भी लागू होती है.
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