जोशीमठ पर इस वक्त एक भारी संकट मंडरा रहा है. लगभग 600 से ज्यादा घरों के लोगों को शिफ्ट कराया जा रहा है. सरकार लगातार बचाव कार्य में जुटी है और लोगों को राहत देने की बात कह रही है. जोशीमठ के दरकने को लेकर हैदराबाद के सीनियर साइंटिस्ट टीम के साथ स्टडी करने पहुंच रहे हैं. बताया जा रहा है कि यह स्टडी दो सप्ताह तक चलेगी.
एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि सीएसआईआर-नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (NGRI) के विशेषज्ञों की टीम प्रभावित शहर की स्टडी करने के लिए जोशीमठ रवाना होगी.
एनजीआरआई के सीनियर साइंटिस्ट आनंद के. पांडे की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय टीम शुक्रवार को साइट पर पहुंचेगी. यह टीम अगले दिन काम करना शुरू कर देगी. उन्होंने कहा कि यह टेस्ट दो सप्ताह तक चल सकता है. इसके बाद जमीन दरकने की वजह जानने के लिए एकत्रित डाटा का एनालिसिस किया जाएगा.
आनंद के. पांडे ने कहा कि हमारे उपकरण मौजूद हैं. 13 जनवरी को पूरी टीम साइट पर जाएगी. इसके बाद 14 जनवरी से हम उस क्षेत्र का सर्वेक्षण करना शुरू कर देंगे, जो कम से कम दो सप्ताह तक चलेगा.
इस दौरान टीम जमीन की सतह, पानी और मिट्टी को लेकर सर्वे करेगी. उन्होंने कहा कि एनजीआरआई पिछले चार वर्षों से उत्तराखंड में भूकंप, बाढ़ और भूस्खलन के को लेकर रिसर्च कर रहा है. अब यहां हम एक सर्वेक्षण करने जा रहे हैं, जो ऐसे भूकंपीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण है.
सीनियर साइंटिस्ट ने कहा कि जोशीमठ की मिट्टी की मोटाई की मैपिंग करने के लिए Multi channel analysis of surface waves (MASW) मेथड का इस्तेमाल करेंगे. यह क गैर-विनाशकारी भूकंपीय विधि है. इसके साथ ही टीम ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार का उपयोग करके मामूली क्रैक्स, सूक्ष्म रूप से होने वाला पानी का रिसाव या सबसॉइल में फ्रैक्चर का पता लगाएगी.
कर्णप्रयाग और लैंडोर में भी डरे लोग, यहां भी 50 घरों में दरारें
जोशीमठ के अलावा कई इलाके ऐसे हैं, जहां जमीन धंस रही है. अब कर्णप्रयाग, लैंडोर के लोग भी डरे हुए हैं. जोशीमठ से लगभग 80 किलोमीटर दूर कर्णप्रयाग के बहुगुणा नगर में कम से कम 50 घरों में 2015 से दरारें आ रही हैं.
स्थानीय लोग इन दरारों के लिए भूमि के धीरे-धीरे धंसने को जिम्मेदार मानते हैं. इसके लिए राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण, निर्माण कार्यों में नियमों के उल्लंघन को भी जिम्मेदार मानते हैं. लोगों का कहना है कि पिंडार नदी के कारण होने वाला कटाव और बारिश के पानी को बेतरतीब ढंग से निकाला जाना इस सबकी वजह है.
सड़क चौड़ीकरण, बारिश के पानी की बेतरतीब निकासी बन रही वजह
कर्णप्रयाग नगर पालिका परिषद के पूर्व अध्यक्ष सुभाष गैरोला ने कहा कि बहुगुणा नगर के ऊपर भूस्खलन से आए मलबे ने सबसे पहले 2015 में घरों को नुकसान पहुंचाया था. इसके बाद नगर परिषद ने बचाव कार्य के प्रयास किए थे. यही हाल बीते सालों में नेशनल हाइवे के चौड़ीकरण और कर्णप्रयाग-कनखूल सड़क के किनारे एक नाली के अभाव में बारिश के पानी के बहाव के साथ होने लगा.
गैरोला ने कहा कि कर्णप्रयाग, अलकनंदा और पिंडार नदियों के संगम पर स्थित होने के कारण मानसून के दौरान नियमित और भारी मिट्टी का कटाव होता है. उन्होंने कहा कि मानसून के दौरान घरों में भी पानी घुस जाता है, जिससे मकानों की नींव कमजोर हो जाती है.
चमोली और केदारनाथ नेशनल हाइवे के पास गांवों में भी आईं दरारें
गैरोला ने कहा कि मंडी परिषद ने अपने भवनों के निर्माण के दौरान जेसीबी की मदद से क्षेत्र की खुदाई भी की, जिससे स्थिति और खराब हो सकती थी. बहुगुणा नगर में आधे झुके हुए घरों की दीवारों पर बड़ी दरारें हैं, जबकि लोगों का ध्यान केवल जोशीमठ में भूमि धंसने पर है.
गैरोला ने कहा कि गोपेश्वर में चमोली जिला मुख्यालय के कुछ हिस्से और केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर गुप्तकाशी के पास सेमी गांव में भी ऐसी ही स्थिति है. उन्होंने प्रभावित लोगों के लिए तत्काल सहायता के साथ-साथ स्थानीय लोगों की सुरक्षा की योजना तैयार करने की मांग की.
चमोली के डीएम बोले- IIT रुड़की के विशेषज्ञों की ली जा रही है मदद
चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने कहा कि कर्णप्रयाग में दरार वाले घरों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया गया है. हम कर्णप्रयाग में समस्या के समाधान के लिए आईआईटी-रुड़की के विशेषज्ञों की मदद ले रहे हैं. वे समस्या का अध्ययन कर रहे हैं और एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं. रिपोर्ट के आधार पर बचाव के उपाय किए जाएंगे.
मसूरी के लैंडोर और ऋषिकेश के पास अटाली गांव में भी भूस्खलन होने की खबर है. मसूरी में लैंडोर चौक से कोहिनूर भवन तक सड़क का 100 मीटर का हिस्सा पिछले 30 साल से धीरे-धीरे धंस रहा है. क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने कहा कि इसके लिए पहाड़ी शहर में भारी निर्माण गतिविधियों और खराब जल निकासी व्यवस्था जिम्मेदार है.
ऋषिकेश के पास अटाली गांव में भी फटी जमीन
मसूरी के एसडीएम शैलेंद्र सिंह नेगी हाल ही में लैंडोर में दरारों का निरीक्षण करने पहुंचे थे, उन्होंने कहा कि क्षेत्र में भूमि धंसाव मामूली है, लेकिन इसकी वजह पता लगाने के लिए स्टडी की जा रही है.
ऋषिकेश के पास अटाली गांव में जमीन में दरारें आ गई हैं. ग्रामीणों का दावा है कि क्षेत्र में बन रही रेलवे सुरंग में दरार आने से पड़ोसी सिंगटाली, लोदसी, कौड़ियाला और बवानी गांव भी प्रभावित हुए हैं. एसडीएम देवेंद्र नेगी ने कहा कि विशेषज्ञों की एक टीम गठित बनाई गई है, जो 15 जनवरी को प्रभावित गांवों का मुआयना करेगी.
केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री बोले- पहले के सर्वे में हुई गलती
जोशीमठ आपदा का निरीक्षण कर लौटे केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि पूर्व में हुए सर्वे में हमसे गलती हो गई, लेकिन अब हमारा कर्तव्य लोगों को बचाने का है. उनका कहना है कि उत्तराखंड के पहाड़ कच्चे हैं, इसलिए लगातार ऐसी आपदाएं आ रही हैं. जोशीमठ में जो होना था, वह हो गया. अब सबसे पहली प्राथमिकता लोगों के पुनर्वास और उनके मुआवजे को लेकर है. इसमें सरकार गंभीरता से काम कर रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे राज्य के सर्वे की घोषणा की है, क्योंकि कई जगह से इस तरह की और जानकारियां मिल रही हैं. सरकारी सिस्टम लोगों को प्रभावित क्षेत्र से सुरक्षित जगह शिफ्ट करने में लगा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद जोशीमठ आपदा की गंभीरता से मॉनिटरिंग कर रहे हैं.
कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि 613 मकानों में दरार आ गई थी, उन सभी को शिफ्ट कर दिया गया है. उनके लिए हरसंभव मदद की जा रही है. इस दुख की घड़ी में पूरी सरकार आपदा प्रभावित लोगों के साथ है. सरकार ने निर्णय लिया है कि जहां भी इस तरह की दिक्कतें आएंगी, वहां तत्काल सर्वे किया जाएगा.
अंतरिम राहत के लिए जारी किए जा चुके हैं 45 करोड़ रुपएः CM धामी
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को कहा कि लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए मुआवजे के लिए दर तय की जाएगी. चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना की अध्यक्षता में बुधवार को 19 सदस्यीय समिति का गठन किया गया.
उन्होंने कहा कि यह समिति प्रत्येक प्रभावित परिवार को 1.50 लाख रुपए की अंतरिम सहायता राशि वितरित करेगी और यह तय करेगी कि किस दर पर मुआवजा दिया जाना है. बता दें कि बता दें कि जोशीमठ में भारी मन से लोग अपना सामान ट्रकों में लादकर दूसरी जगहों पर शिफ्ट हो रहे हैं.
सीएम बोले- लोगों के पुनर्वास के हरसंभव प्रयास करेगी सरकार
धामी ने समिति के साथ एक बैठक में कहा कि लोगों को अच्छा मुआवजा मिलेगा. राज्य सरकार उनके उचित पुनर्वास के लिए हरसंभव प्रयास करेगी. उनके जीवन और संपत्ति की रक्षा करना हमारी प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक प्रभावित परिवार को तत्काल 1.50 लाख रुपए देने के लिए 45 करोड़ रुपए जारी किए जा चुके हैं. यह केवल एक अंतरिम राहत है. अंतिम मुआवजे और पुनर्वास को लेकर काम किया जा रहा है.
सीएम बोले- जोशीमठ को लेकर यह संदेश देना कि पूरा शहर डूब रहा है, गलत है
सीएम धामी ने कहा कि जोशीमठ के बारे में गलत धारणा बनाई जा रही है. इससे स्थानीय लोगों की आजीविका प्रभावित हो सकती है. धामी ने कहा कि औली में शीतकालीन खेल फरवरी में शुरू हो रहे हैं और चारधाम यात्रा कुछ महीनों में शुरू हो रही है. जोशीमठ के बाहर यह संदेश देना कि पूरा शहर डूब रहा है, गलत है. इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
धामी ने कहा कि जोशीमठ में केवल 20-25 फीसदी घर जमीन धंसने से प्रभावित हुए हैं, न कि पूरे शहर में. कुछ लोगों द्वारा गलत धारणा बनाई जा रही है. धामी ने कहा कि आपदा ने 600-700 घरों को प्रभावित किया है, जो शहर के पूरे क्षेत्र का केवल 20-25 प्रतिशत है, लेकिन जोशीमठ के आसपास ऐसा माहौल बनाया गया है कि पूरा शहर डूब रहा है, जो सच नहीं है.
धामी ने कहा कि अंतरिम सहायता आज शाम या शुक्रवार तक प्रभावित परिवारों के बैंक खातों में पहुंच जाएगी. उन्होंने इस आपदा से उबरने के लिए लोगों के मनोबल को मजबूत करने के लिए सामूहिक प्रयास करने का भी आह्वान किया.
सीएम ने नरसिंह मंदिर में पूजा कर की जोशीमठ की सलामती की प्रार्थना
मुख्यमंत्री ने जोशीमठ में भू-धंसाव की समस्या की स्टडी कर रहे भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और आपदा बल के जवानों और विभिन्न संगठनों के वैज्ञानिकों के साथ भी बैठक की. धामी ने जोशीमठ में नरसिंह मंदिर में पूजा-अर्चना कर दिन की शुरुआत की.
धामी ने कहा कि मैंने आज (गुरुवार) सुबह नरसिंह मंदिर में पूजा की और इस शहर और यहां रहने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना की. उन्होंने कहा कि कई बैठकें निर्धारित हैं, इनमें जोशीमठ से संबंधित सभी मामलों पर चर्चा की जाएगी.
(राहुल सिंह दरम्वाल के इनपुट के साथ)