Joshimath Sinking Row: जोशीमठ में जमीन धंसने की घटनाओं के बाद चमोली प्रशासन हरकत में आ गया है. जिला प्रशासन और एसडीआरएफ की टीमों ने असुरक्षित घरों की पहचान शुरू कर दी है. टीमें जोशीमठ में भूस्खलन की घटनाओं में क्षतिग्रस्त हुए घरों पर अब रेड क्रॉस मार्क लगाकर घर के मालिकों को सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं.
यहां अब तक 603 घरों में दरारें आ चुकी हैं. इनमें 100 से ज्यादा घर ऐसे हैं, जो कभी भी ढह सकते हैं. वहीं प्रशासन यहां से अब तक 65 परिवारों को सुरक्षित जगह भेज चुका है. बाकी लोगों को भी सुरक्षित जगह पर भेजने के प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं जोशीमठ के बाद कर्णप्रयाग में भी जमीन दरकने की घटनाएं सामने आ लगी हैं. कर्णप्रयाग नगर पालिका के बहुगुणा नगर में मौजूद करीब 50 घरों में दरार आने लगी हैं.
बचाव कार्य के लिए कमेटी गठित, सर्वे कराने का निर्देश
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी शनिवार को जोशीमठ पहुंचकर जमीनी हकीकत जानी थी. उन्होंने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी के नेतृत्व में लोगों के राहत और बचाव कार्य के लिए एक कमेटी गठित करने के निर्देश दिए हैं. इसके लिए चमोली जिले के जिलाधिकारी को 11 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई गई है. इसके अलावा उन्होंने जोशीमठ इलाके के सर्वे कराने के भी निर्देश दिए हैं.
इसे अलावा सीएम ने जोशीमठ के प्रभावित क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण के बाद आपदा प्रबंधन केंद्र में आलाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. सचिव मुख्यमंत्री आर मीनाक्षी सुन्दरम और आयुक्त गढवाल मंडल सुशील कुमार कल से जोशीमठ में कैंप करेंगे. इसके अलावा जोशीमठ संकट के कारणों की विभिन्न केंद्रीय संस्थानों से अध्ययन व उपचार के लिए रिपोर्ट देने को कहा है.
जमीन धंसने के लिए सुरंग जिम्मेदार नहीं: NTPC
जोशीमठ में जमीन धंसने की घटनाएं बढ़ने के बाद एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट के टनल के अंदर का काम रोक दिया गया है. प्रशासन ने बीआरओ के अन्तर्गत निर्मित हेलंग बाईपास निर्माण कार्य, एनटीपीसी के तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना के अन्तर्गत निर्माण कार्य एवं नगरपालिका क्षेत्रान्तर्गत निर्माण कार्यों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. साथ ही जोशीमठ-औली रोपवे का संचालन भी अगले आदेश तक रोक दिया गया है.
ऐसा माना जा रहा है कि एनटीपीसी की बनाई गई सुरंग के चलते जोशीमठ में जमीन धंसने की घटनाएं हो रही हैं. इस मामले में NTPC ने सफाई दी है. उसने कहा कि एनटीपीसी जोशीमठ शहर के नीचे सुरंग का निर्माण नहीं कर रहा है. इस सुरंग का निर्माण टनल बोरिंग मशीन से किया जा रहा है. मौजूदा समय में कोई भी ब्लास्टिंग का काम नहीं किया जा रहा है. एनटीपीसी पूरी जिम्मेदारी के साथ कहना चाहती है कि इस सुरंग की वजह से जोशीमठ की जमीन नहीं धंस रही है.
जोशीमठ संकट का मामला SC पहुंचा
उत्तराखंड के प्राचीन शहर जोशीमठ और आसपास के क्षेत्र में भू-धंसाव का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. इस संबंध में ज्योतिर्मठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है. अधिवक्ता परमेश्वर नाथ मिश्र ने याचिका में कहा कि भू धंसाव की जद में ढाई हजार साल से भी ज्यादा प्राचीन मठ भी आ गया है.
आदिगुरु शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में ज्योतिर्मठ की स्थापना की थी. इसे सनातन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण मठों में से एक माना जाता है. लिहाजा सुप्रीम कोर्ट इसके लिए त्वरित उपाय क्रियान्वित करने का आदेश जारी करे. सरकार को आदेश दे कि फौरन कार्रवाई की जाए.