जोशीमठ में भू-धंसाव की आपदा के 43 दिन बीत गए हैं. मगर, उत्तराखंड सरकार ने प्रभावितों के लिए कोई नई नीति नहीं बनाई है. ड़ेढ महीने बीत जाने का बाद भी स्थिति जस की तस है. ऐसे में अब लोगों की आस भी धीरे-धीरे टूटती जा रही है. अभी तक किसी को भी मुआवजे के नाम पर 1 लाख 50 हजार से अधिक नहीं मिला है.
ऐसे में किसी की समझ में नहीं आ रहा है कि अब क्या होगा? पीड़ित परिवार अभी भी राहत शिविरों के एक-एक कमरों में रहने को मजबूर हैं. दरअसल, 2 जनवरी की रात जोशीमठ के मनोहर बाग से मारवाड़ी तक फॉल्ट लाइन में अचानक से दरारें पड़ने लगी थीं. इस दौरान लोगों को घर छोड़कर सड़क पर आना पड़ा.
वहीं, दूसरे दिन सुबह 3 जनवरी को खबर आई कि मारवाड़ी के जेपी कैंपस में अचानक पानी निकलने लगा. फिर प्रशासन ने 3 जनवरी को ही होटल माउंट व्यू और मलारी के पीछे के 5 परिवारों को नगरपालिका के गेस्ट हाउस में शिफ्ट कर दिया. भले ही जोशीमठ के अन्य जगहों पर इस समय दरारें नहीं हैं. मगर, जहां पर पहले से दरारे देखने को मिल रही हैं, वहां आज भी दरारें बढ़ती जा रही हैं.
मॉडल प्रीफैबरीकेटेड अभी तक नहीं बने
जोशीमठ से एक किलोमीटर पहले उद्यान विभाग की जमीन पर 18 जनवरी को प्रीफैबरीकेटेड के 1 बीएचके, 2 बीएचके और 3 बीएचके मॉडल का हट बनाने का का काम शुरू हुआ था. मगर, 14 फरवरी बीच जाने के बाद भी अभी तक यहां पर मॉडल हट ही नहीं बन पाए हैं.
15 फरवरी को राज्य कैबिनेट की बैठक
बता दें कि 15 फरवरी को उत्तराखंड राज्य कैबिनेट की बैठक होने वाली है. बताया जा रहा है कि इसमें जोशीमठ के सर्किल रेट पर मुहर लग सकती है. इसकी उम्मीद प्रभावितों को है. इसी उम्मीद के साथ अभी तक प्रभावित आस लगाए बैठे हैं.
पहले यह कैबिनेट की बैठक 10 फरवरी को होने वाली थी. मगर, पीएमओ में 10 फरवरी को मीटिंग तय हुई थी. इस कारण इस कैबिनेट की बैठक को 15 फरवरी में करना पड़ रहा है.