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कहीं फटी जमीन, कहीं दरारों से बहता पानी... डेंजर जोन में जोशीमठ, कहां जाएंगे हजारों लोग?

बद्रीनाथ धाम से 45 किलोमीटर दूर जोशीमठ में हैरान करने वाला मंजर है. कई इलाकों में लैंडस्लाइड और दरकती दीवारों की वजह से लोग दहशत में हैं. जो अपने घर में रह रहे हैं, उनको पूरी रात नींद नहीं आ रही. जिनके घरों में दरारें आ चुकीं हैं या जमीन का हिस्सा धंस गया है, उनमें से कई अपना आशियाना छोड़कर पलायन कर चुके हैं.

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डेंजर जोन में जोशीमठ.
डेंजर जोन में जोशीमठ.

उत्तराखंड का जोशीमठ इस समय एक बड़े संकट का सामना कर रहा है. यहां दीवारें दरक रहीं है. जमीन धंस रही है. घरों को फोड़कर पानी बह रहा है. बद्रीनाथ धाम से महज 50 किलोमीटर दूर जोशीमठ में सड़कें फट रही हैं. यहां लोगों के घरों में दरारें आ गई हैं, लोग अपने घरों को बचाने के लिए सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार व अदालतों से अपने घरों को बचाने की गुहार लगा रहे हैं.

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जोशीमठ के लोग खौफ में जी रहे हैं. उनमें घबराहट है. यहां से लोगों को शिफ्ट किया जा रहा है. बार-बार हो रहे भूस्खलन के कारण छतों के गिरने की आशंका है. यहां कड़ाके की ठंड में लोग डर के साए में अपने घरों के बाहर सोने को विवश हैं. लोग अपनी आंखों से अपने घर और शहर को बर्बाद होते देख रहे हैं. 

आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि एक सर्वेक्षण में पता चला है कि शहर के सुरक्षित स्थानों पर भी दरारें आ गई हैं. कुछ होटल प्रभावित हुए हैं. कुछ जगहों पर पानी के स्रोत खुल गए हैं.

घरों में ऐसी दरारें हैं कि इनसे जान-माल का नुकसान हो सकता है. (Photo: Twitter)
घरों में ऐसी दरारें हैं कि इनसे जान-माल का नुकसान हो सकता है. (Photo: Twitter)

उन्होंने कहा कि भूमिगत रास्तों से आने वाला पानी खतरनाक है, क्योंकि यह एक तरह का वैक्यूम बना रहा है, जिससे शहर डूब रहा है. हमें प्रभावित लोगों को यहां से शिफ्ट करना है. जिस दर से दरारें आई हैं, उसको लेकर कई लोगों का मानना है कि अब इस शहर में निर्माण हकीकत से दूर हो गया है.

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उत्तराखंड के चमोली जिले में 6,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब के रास्ते पर जोशीमठ शहर हाई रिस्क वाले भूकंपीय 'जोन-वी' में आता है. अब तक शहर के विभिन्न इलाकों में 561 घरों में दरारें आ चुकी हैं. यहां एनटीपीसी प्रोजेक्ट के खिलाफ जमकर विरोध भी हो चुका है. हो सकता है कि इस खतरे के पीछे यह भी एक कारण हो.

राहत शिविर में रह रहे पीड़ितों की आपबीती

क्या बोले जोशीमठ के राहत शिविर में रह रहे लोग?

जोशीमठ में अंजलि रावत का बहुमंजिला मकान क्षतिग्रस्त हो गया है. खंभे गिर गए हैं, घर पूरी तरह झुक गया है और फर्श पर पानी भरा है. अंजलि अब अपने परिवार के साथ नगर पालिका राहत शिविर में बने एक कमरे में रहने को मजबूर हैं.

उनके परिवार का कहना है कि राशन और कंबल से ज्यादा जरूरी ये है कि हमें रहने के लिए पक्का ठिकाना चाहिए. जोशीमठ की ठंड से बचने के लिए हीटर, स्थान और संसाधनों की जरूरत होती है. यहां 6 महीने की बच्ची को भी राहत शिविर में इस सर्द मौसम से जूझना पड़ रहा है.

'सरकार ने तत्काल उठाए हैं जरूरी कदम'

हल्द्वानी पहुंचे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने जोशीमठ भू-धंसाव पर कहा कि यह बेहद अकल्पनीय है. जोशीमठ ऐतिहासिक शहर है, वहां घरों में दरारें आना, जमीन धंस जाना अकल्पनीय है. सरकार पूर संवेदनशीलता के साथ कार्य कर रही है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद आज जोशीमठ के दौरे पर हैं. सरकार ने तत्काल जरूरी कदम उठाए हैं.

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उन्होंने कहा कि विस्थापन करने के साथ-साथ जोशीमठ के लोगों के पुनर्वास के लिए भी सरकार कदम उठा रही है. वहां चल रहे सभी निर्माण कार्यों पर भी सरकार ने तत्काल रोक लगा दी है. लोगों के रहने के लिए गेस्ट हाउस और होटल की व्यवस्था की गई है. पुनर्वास होने तक लोगों को किराया भी दिया जाएगा.

जोशीमठ अब रहने लायक नहींः कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी

घरों में ऐसी दरारें हैं कि इनसे जान-माल का नुकसान हो सकता है. (Photo: Twitter)

उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी का कहना है कि जोशीमठ की स्थिति वास्तव में चिंता का विषय है. अभी हमारे वैज्ञानिक हमारे सारे अधिकारी वहां पर हैं, मुख्यमंत्री वहां पहुंच चुके हैं. उन कारणों को खोजा जा रहा है कि किस वजह से इतनी बड़ी यह घटना हुई है. जो हालात दिखाई दे रहे हैं, उनको देखते हुए अब वह जगह रहने लायक नहीं रह गई है. इसलिए मुख्यमंत्री ने सभी को शिफ्ट करने के निर्देश दिए हैं.

सरकार आपदा प्रभावित लोगों के साथ है. 6 महीने तक मुख्यमंत्री ने उनको 4000 रुपए किराया देने की बात कही है. इसके अलावा भी जो भी मदद होगी, सरकार करेगी. 

मिश्रा आयोग की रिपोर्ट को लेकर कैबिनेट मंत्री ने कहा है कि जैसा खबरों में आ रहा है कि 45 वर्ष पूर्व ही इसकी चेतावनी दे दी गई थी, वास्तव में कहीं न कहीं इस पहलू पर चूक भी है. कोई कह रहा है कि टनल की वजह से यह घटना हुई, कोई कह रहा है कि भूस्खलन के बाद से हुई है. जब तक पूरे फैक्ट सामने न आ जाएं, तब तक इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं है. 

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कहीं फटी जमीन, कहीं दरारों से बहता पानी..., डेंजर जोन में जोशीमठ, कहां जाएंगे हजारों लोग?

गणेश जोशी ने कहा कि यह कहना गलत है कि चीन में हानि नहीं पहुंचती है, यह कोई भी टिप्पणी कर सकता है, लेकिन हम भविष्य में इसको देखते हुए ऐसा प्लान करेंगे कि इस प्रकार की पुनरावृत्ति न हो. पर्यटकों को फिलहाल रोका गया है और धीरे-धीरे जब जैसे-जैसे स्थिति सामान्य होगी, उसको लेकर निर्णय लिया जाएगा.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज भी आ रहे जोशीमठ

जोशीमठ की स्थिति को लेकर ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने चिंता जताई है. उन्होंने अपने सारे कार्यक्रम रद्द करते हुए जोशीमठ जाने का निर्णय किया है, ताकि वे ऐसी परिस्थिति में वहां के लोगों के साथ खड़े हो सकें. उन्होंने जोशीमठ को नुकसान पहुंचाने वाले कारणों का पता लगाने और जोशीमठ जैसे ऐतिहासिक नगर को बचाने की अपील भी की है.

एडविन की किताब में जोशीमठ का जिक्र

वहीं देश की सबसे महत्वपूर्ण धरोहर में से एक जोशीमठ को लेकर वैज्ञानिक भी चिंतित हैं. जोशीमठ उत्तराखंड के अधिकतर भू-वैज्ञानिकों के शोध का केंद्र रहा है. बताया जाता है 1886 में एडविन एटकिन्ससन की किताब द हिमालयन गैजेटीयर में जोशीमठ का जिक्र करते हुए कहा था कि जोशीमठ भूस्खलन के मलबे पर बसा हुआ एक शहर है.

गढ़वाल विश्वविद्यालय के भू-विभाग के प्रोफेसर यशपाल सुंदरियाल ने कहा कि जोशीमठ में आई आपदा का एक मुख्य कारण है पानी के निकासी की व्यवस्था न होना. प्रो. सुंदरियाल ने बताया कि जोशीमठ की नींव बहुत नाजुक है और यह सिल्ट चट्टानों पर बना एक भू भाग है. यदि उसमें पानी का रिसाव होगा तो उसकी नींव धंसेगी ही. 

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अब तक 603 मकानों में आ चुकी हैं दरारें

जोशीमठ में अब तक शहर के 603 मकानों में दरारें आ चुकी हैं. 100 से ज्यादा घर में हालात खतरनाक हो चुके हैं. हजारों लोगों की रिहायश पर खतरा पैदा हो गया है. वहीं 44 परिवारों को अब तक सुरक्षित जगह पर शिफ्ट किया जा चुका है. नाजुक स्थिति को देखते हुए हेलंग मारवाड़ी बायपास और NTPC की पनबिजली परियोजना की सभी निर्माण गतिविधियों को तुरंत रोक दिया गया है.

'नुकसान कम से कम हो, इस पर काम हो रहा है'

उत्तराखंड के सीएम धामी बोले- नुकसान कम से कम हो, इस पर काम हो रहा है

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि 600 से ज्यादा परिवारों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जाएगा. सीएम धामी ने मिश्रा कमेटी और निर्माण के खिलाफ सलाह देने वाली विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर सवालों के जवाब देते हुए कहा कि सभी निर्माण गतिविधियां बंद कर दी गई हैं.

सर्वेक्षण को लेकर उन्होंने कहा कि हमने स्थिति देखी है. जमीन धंसने की घटनाएं हुई हैं, गली और घरों में दरारें आ गईं हैं. यह आपदा का समय है. उन्होंने कहा कि जोशीमठ धार्मिक स्थल है. उन्होंने कहा कि नुकसान कम से कम हो, इसको लेकर काम किया जा रहा है. इस मामले को लेकर अगली बैठक देहरादून में विशेषज्ञों के साथ की जाएगी.

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प्रभावित लोगों को शिफ्ट करने की योजना: धामी

सीएम धामी ने कहा कि जोशीमठ में कई घर तबाह हो गए हैं. होटल प्रभावित हुए हैं. दो इलाके ज्यादा प्रभावित हैं. नरसिंह मंदिर पर भी असर पड़ा है. लोगों को राहत दिए जाने को लेकर सीएम ने कहा कि 600 परिवारों को शिफ्ट करने की योजना बना ली गई है.

मिश्रा समिति की रिपोर्ट पर सीएम बोले कि कई रिपोर्ट सौंपी गई हैं और कई इकट्ठी की जा रही हैं. अभी किसी फैसले पर पहुंचना जल्दबाजी होगी. उन्होंने एनटीपीसी को लेकर कहा कि सभी निर्माण गतिविधियों को रोक दिया गया है.

(अंकित शर्मा, अमित भारद्वाज, राहुल सिंह दरम्वाल व मुदित अग्रवाल के इनपुट के साथ)

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