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उत्तराखंड के जोशीमठ में 11 और परिवारों को शनिवार को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया. शहर में दरार से प्रभावित घरों की संख्या बढ़कर 603 हो गई है. लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि आखिर क्या होगा जोशीमठ का? क्या होगा उन परिवारों का जो अपना आशियाना टूटते देख रहे हैं? जोशीमठ का यही दर्द देखने सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहुंचे. अलग-अलग हिस्सों का जायजा लिया. स्थानीय लोगों से बातचीत की. जहां लोगों ने अपना दर्द मुख्यमंत्री के साथ साझा किया.
दरअसल, दीवारें दरकने और जमीन धंसने के बाद सरकार अब एक्शन में है. शनिवार को हुई हाईलेवल मीटिंग के बाद 3 लोगों की स्पेशल टीम बनी. कई परिवारों को सुरक्षित स्थानों में शिफ्ट किया गया है. वहीं, एनटीपीसी और निर्माण के कामों को रोक दिया गया है.
दरारें रोज़ चौड़ी हो रहीं
उधर, जो लोग अपने घर में रह रहे हैं, उनको पूरी-पूरी रात नींद नहीं आ रही. जिनके घरों में दरारें आ चुकीं हैं या जमीन का हिस्सा धंस गया है, वो लोग अपना आशियाना छोड़कर पलायन कर चुके हैं. लोगों की चिंता इसलिए बढ़ रही है कि जोशीमठ के इन इलाकों में जमीन पर पड़ रहीं दरारें रोज़ चौड़ी होती जा रही हैं. 25 से ज्यादा घरों की दीवारों में काफी चौड़ी दरारें आने के बाद से लोगों ने अपने घर खाली कर दिए हैं.
मारवाड़ी इलाके में दहशत
सबसे ज्यादा कहर मारवाड़ी इलाके में देखा जा रहा है. यहां कई जगह जमीन के अंदर से मटमैले पानी का लगातार रिसाव तेज होता जा रहा है. हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट कॉलोनी की दीवारों को फाड़कर पानी का बहाव बढ़ता जा रहा है. इतना ही नहीं, खेतों में पानी के बुलबुले निकल रहे हैं. दो दिन पहले ही मारवाड़ी इलाके के पास जेपी कॉलोनी में अचानक पानी का बहाव तेज होने से लोग सहम गए. जोशीमठ के रविग्राम, गांधीनगर, मनोहरबाग, सिंघाधर वार्ड में भूस्खलन की सबसे ज्यादा घटनाएं देखी जा रही हैं.
अलर्ट मोड पर इंडियन आर्मी
हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. ऐसे में सेना को अलर्ट मोड पर रखा गया है. गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार सिंह ने बताया कि प्रशासन लगातार सेना के अधिकारियों के साथ संपर्क में है.
ISRO से मांगी मदद
वहीं, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) से जोशीमठ की सैटेलाइट तस्वीरें ली जाएंगी. पिछले चार महीनों की तस्वीरों को लेकर समझा जाएगा कि आखिर हालात ऐसे क्यों बन रहे हैं? 2-3 दिन में इसरो की ओर से यह तस्वीरें सामने आ सकती हैं.
पहले ही थी धंसाव की आशंका
यहां बताना जरूरी है कि जोशीमठ पर पैदा हुआ संकट मामूली नहीं है. भू-गर्भीय रूप से यह इलाका काफी संवेदनशील है और सिस्मिक जोन-5 के अंदर आता है. इस शहर में हो रहे धंसाव की आशंका पहले ही पैदा हो गई थी और सरकार की विशेषज्ञों की टीम ने एक रिपोर्ट भी तैयार की थी.
ये वजह सामने आईं
रिपोर्ट के मुताबिक, जोशीमठ में बेतरतीब निर्माण, पानी का रिसाव, ऊपरी मिट्टी का कटाव और दूसरे कई कारणों से जल धाराओं के प्राकृतिक प्रवाह में रुकावट पैदा हुई है. भूगर्भीय रूप से संवेदनशील ये शहर पूर्व-पश्चिम में चलने वाली रिज पर मौजूद है. शहर के ठीक नीचे विष्णुप्रयाग के दक्षिण-पश्चिम में, धौलीगंगा और अलकनंदा नदियों का संगम है. ऐसे में नदी से होने वाला कटाव भी इस भू-धंसाव के लिए जिम्मेदार है.
विशेषज्ञों ने पहले ही चेताया
इससे पहले विशेषज्ञों ने 16 से 20 अगस्त 2022 के बीच जोशीमठ का दौरा कर पहली रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि इस इलाके में सुरक्षा कार्य करने के लिए बड़े पैमाने पर लोगों को दूसरी जगह विस्थापित करना होगा. बहरहाल, जोशीमठ के हालात डराने वाले हैं. सैकड़ों परिवार की जिंदगी का सवाल है. एक शहर के अस्तित्व का सवाल है.
(जोशीमठ से राजीव ढौंढियाल, अमित भारद्वाज के साथ कमल नयन सिलोड़ी का इनपुट)