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जोशीमठ के डेंजर जोन से 237 परिवार किए गए शिफ्ट, जानिए कहां रखे जा रहे लोग, क्या हैं तैयारियां

जोशीमठ धीरे-धीरे धरती में समा रहा है. जगह-जगह जमीनें दरक रही हैं. प्रभावितों की संख्या बढ़ती जा रही है. प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को निकाला जा रहा है. उन्हें फिलहाल अस्थायी केंद्रों में शिफ्ट किया जा रहा है. इन कैम्पों में अब तक 237 परिवारों को पहुंचाया जा चुका है. प्रशासन ने इनके ठहरने के साथ-साथ खाने, ठंड से बचने जैसी तमाम व्यवस्थाएं कर रखी हैं.

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जोशीमठ में बढ़ता जा रहा संकट (फाइल फोटो)
जोशीमठ में बढ़ता जा रहा संकट (फाइल फोटो)

दरकते जोशीमठ का दर्द और बढ़ता जा रहा है. यहां तेजी से घरों में दरारें बढ़ती जा रही हैं. अब तक 849 घरों में दरारें आ चुकी हैं. इनमें से 165 घर रेड जोन में हैं यानी ये घर कभी भी दरक सकते हैं, इसलिए यहां रहने वाले परिवारों को अस्थायी राहत केंद्रों में भेजा जा रहा है. 

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आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के दैनिक बुलेटिन के अनुसार, जिला प्रशासन द्वारा अब तक 237 परिवारों के कुल 800 लोगों को सुरक्षित स्थानों में शिफ्ट कर चुका है. प्रभावित परिवारों को अभी जोशीमठ के नगर पालिका भवन, एक प्राथमिक विद्यालय भवन, मिलन केंद्र और जोशीमठ गुरुद्वारा में शिफ्ट किया गया है.

अधिकारियों के अनुसार, कस्बे में 83 जगहों पर 615 कमरों को अस्थायी राहत शिविरों के रूप में चिह्नित किया गया है. इन कमरों में 2190 लोगों को रखा जा सकता है. इसके अलावा, जोशीमठ नगरपालिका क्षेत्र के बाहर पीपलकोटी में 20 इमारतों में 491 कमरों को अस्थायी राहत शिविरों के रूप में चिह्नित किया गया है, जिनमें 2,205 लोग ठहराए जा सकते हैं.

जोशीमठ पर आपदा के गहराते संकट के बीच भारतीय सेना के जवान आपदा से निपटने और सरहद पर निगरानी की दोहरी चुनौती से निपटने की तैयारी में जुट गई है.

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जोशीमठ संकट

जानिए कहां-कितनी इमारतों में आई दरार

गांधीनगर में 154 इमारतों में दरारें आई हैं, जिनमें 28 असुरक्षित हैं. इसमें तरह अपर बाजार में 40, परसारी में 55, रविग्राम में 161, पालिका मारवाड़ी 53 और लोवर बाजार  में 38 भवनों में दरारें आई हैं.

इसके अलावा सिंहधार में 139 भवनों में दरारें, इनमें 84 भवन असुरक्षित हैं. वहीं मनोहरबाग में 131 इमारतों में दरारें आई हैं, जिनमें 27 रेड जोन में हैं. इसी तरह सुनील में 78 घरों में दरारें आई हैं, जिनमें 26 घरों को ज्यादा खतरा है.

301 लाख से ज्यादा की सहायता राशि दी गई

जिला प्रशासन ने अब तक 396 प्रभावित परिवारों को 301.77 लाख रुपये की अंतरिम सहायता राशि दे चुका है. एक अधिकारी ने कहा, करीब 284 भोजन किट, 360 कंबल, 842 लीटर दूध, 55 हीटर और ब्लोअर, 36 डेली यूज की किट और 642 अन्य राहत सामग्री प्रभावितों को बांटी जा चुकी है.

इसके अलावा राहत शिविरों में रह रहे 637 से ज्यादा लोगों और प्रभावित क्षेत्रों में 33 पशुओं का हेल्थ टेस्ट हो चुका है. वहीं ज्योतिषपीठ शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने जोशीमठ और यहां के लोगों की सुरक्षा के लिए नृसिंह मंदिर में 100 दिवसीय 'महायज्ञ' शुरू किया है.

जोशीमठ में बने राहत शिविरों में शिफ्ट किए जा रहे लोग

SC ने खारिज की  याचिका, HC जाने की सलाह

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सुप्रीम कोर्ट ने जोशीमठ संकट पर दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले को लेकर उत्तराखंड हाई कोर्ट में जाएं. तीन जजों की बेंच ने कहा कि यह मुद्दा पहले से ही उत्तराखंड हाई कोर्ट में चल रहा है.

CJI ने कहा याचिकाकर्ता ने प्रभावित व्यक्तियों के पुनर्वास और राहत के लिए UoI और राज्य को परमादेश सहित विस्तृत दिशा-निर्देश मांगे हैं. उन्होंने मांग की है कि वर्तमान में जोशीमठ की स्थिति एक राष्ट्रीय आपदा जैसी है और NDRF को सहायता प्रदान करनी चाहिए. उत्तराखंड राज्य के लिए बीमा कवरेज और पुनर्वास उपाय दिए जाएं. आध्यात्मिक और धार्मिक स्थानों की सुरक्षा के लिए तपोवन परियोजना का निर्माण बंद करने की मांग की गई.

SC ने कहा कि अनुच्छेद 226 के तहत HC द्वारा क्षेत्राधिकार की धारणा हो जाने के बाद इस मामले के विशिष्ट प्रावधानों पर विचार किया जा सकता है.

प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को निकाल रही सेना

प्रभावितों को 5000 रुपये किराया, बिजली-पानी मुफ्त

उत्तराखंड कैबिनेट ने पिछले दिनों जोशीमठ को लेकर बड़े फैसले लिए गए थे. इसमें सरकार ने 5000 रुपये तक किराया बढ़ाए जाने का फैसला लिया है. सरकार ने राहत शिविर में एक कमरा अधिकतम 950 रुपये महीना रुपये की घोषणा की है. इसके अलावा खाने के लिए प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 450 रुपये खर्च होगा.

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इसके अलावा जो लोग विस्थापित हो रहे हैं. एक परिवार से 2 लोगों को मनरेगा में काम मिलेगा. जानवरों के लिए भी सरकार ने ऐलान किया है. प्रति जानवर 15 हजार रुपये दिए जाएंगे. जोशीमठ में 80 बड़े और 45 छोटे पशु हैं. 

इसके साथ ही उत्तराखंड कैबिनेट ने बिजली और पानी नवंबर से माफ कर दिया है, जोकि छह महीने तक के लिए किया गया है. प्राइवेट और सरकारी बैंकों को एक साल की राहत के लिखा जाएगा और को-ऑपरेटिव से लोन पर 6 महीने की राहत दी जाएगी. उत्तराखंड कैबिनेट के सभी मंत्री एक महीने की सैलरी मुख्यमंत्री राहत कोष में दान करेंगे. 

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